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Thursday, December 25, 2025
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Homeउत्तर प्रदेशMeerutMeerut: गणेश चतुर्थी से पहले थापरनगर में सजा गणपति का बाजार

Meerut: गणेश चतुर्थी से पहले थापरनगर में सजा गणपति का बाजार

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  • कोलकाता से आती हैं खास मूर्तियां, चार महीने पहले से होने लगती है सजावट।

शारदा रिपोर्टर मेरठ। जैसे ही गणेश चतुर्थी का पावन पर्व नजदीक आ रहा है, मेरठ की गलियों में भगवान गणेश की मूर्तियों की रौनक छा गई है। शहर के बाजार रंग-बिरंगी, इको-फ्रेंडली मूर्तियों से सज चुके हैं, जहां पगड़ी वाले गणेश से लेकर तकिया गणेश तक, हर स्वरूप भक्तों का मन मोह रहा है। थापर नगर के मूर्तिकारों की दुकानों पर 6 इंच की छोटी मूर्तियों से लेकर 5 फुट की भव्य मूर्तियों तक का मेला सजा है, जो न सिर्फ आंखों को सुकून दे रहा है, बल्कि पर्यावरण की रक्षा का संदेश भी दे रहा है।

गणपति मूर्ति कला केंद्र के मालिक प्रजापति ने बताया कि उनके पास 6 इंच से लेकर 5 फुट तक की मूर्तियां उपलब्ध हैं, और खास बात यह है कि सभी मूर्तियां इको-फ्रेंडली हैं। इनमें मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है और कई मूर्तियों में बीज डाले जाते हैं, जिन्हें विसर्जन के बाद पौधे के रूप में उगाया जा सकता है। प्रजापति बताते हैं कि 6 से 12 इंच की मूर्तियां घरों की शोभा बढ़ाती हैं, जबकि 30 इंच से ढाई फुट तक की मूर्तियां पंडालों में भक्ति का माहौल बनाती हैं।

इको फ्रेंडली गणेश: मार्केट में गणेश जी की मूर्तियों की विविधता देखने को मिल रही है। पगड़ी वाले गणेश, मुकुट वाले गणेश, सिंहासन गणेश, गाय गणेश, चौकड़ी गणेश, कुर्ता गणेश, तिरुपति बालाजी, बड़े कान वाले गणेश और तकिया गणेश जैसी मूर्तियाँ ग्राहकों को आकर्षित कर रही हैं। थापर नगर के दुकानदारों का कहना है कि इन मूर्तियों की माँग हर साल बढ़ती है।

पगड़ी, मुकुट और तकिया गणेश का अनोखा अंदाज: इस बार बाजार में गणेश जी के अनोखे स्वरूप भक्तों को लुभा रहे हैं। पगड़ी वाले गणेश, मुकुट वाले गणेश, सिंहासन गणेश, गाय गणेश, चौकड़ी गणेश, कुर्ता गणेश, तिरुपति बालाजी गणेश और बड़े कान वाले गणेश के साथ-साथ तकिया गणेश की मूर्तियां खूब चर्चा में हैं। थापर नगर के दुकानदारों का कहना है कि हर साल भक्त कुछ नया चाहते हैं, और इस बार तकिया गणेश और कुर्ता गणेश की डिमांड सबसे ज्यादा है।

मेरठ में 500 से ज्यादा मूर्तियों की बिक्री: थापर नगर के दुकानदारों का अनुमान है कि गणेश चतुर्थी से पहले मेरठ में 500 से ज्यादा मूर्तियां बिक जाती हैं। छोटी मूर्तियां घरों में विराजमान होती हैं, तो बड़ी मूर्तियां पंडालों में भव्यता का आलम बिखेरती हैं। कोलकाता से आने वाली मूर्तियों को मेरठ में पेंट और सजावट के बाद और भी आकर्षक बनाया जाता है, जो भक्तों के बीच खासा लोकप्रिय है।

कोलकाता से आती हैं बड़ी मूर्तियां

मूर्ति निर्माण की प्रक्रिया भी कम रोचक नहीं है। प्रजापति बताते हैं कि छोटी मूर्तियां (14 से 20 इंच) यहीं मेरठ में बनती हैं, लेकिन 24 इंच और 30 इंच से बड़ी मूर्तियां कोलकाता से मंगवाई जाती हैं। मूर्ति निर्माण का काम 6 महीने पहले शुरू हो जाता है, जबकि पेंटिंग और सजावट का काम 3-4 महीने पहले। खास बात यह है कि डेढ़ महीने पहले मूर्तियों को सजाने-संवारने का दौर शुरू होता है, ताकि गणेश चतुर्थी तक हर मूर्ति भक्तों के लिए तैयार हो।

तीन से नौ घंटे में तैयार हो जाती है मूर्ति

दुकानदारों के मुताबिक, 12 से 18 इंच की मूर्तियां बनाने में 3 से 4 घंटे लगते हैं, जबकि 24 से 30 इंच की मूर्तियों को तैयार करने में 8 से 9 घंटे का समय लगता है। थापर नगर के एक दुकानदार ने बताया, “हर मूर्ति में जान डालने के लिए हम दिल से मेहनत करते हैं। मिट्टी से बनी ये मूर्तियां न सिर्फ भक्ति का प्रतीक हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित हैं।

 

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