आदेश प्रधान एडवोकेट | चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, जो कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा का गौरव माना जाता था, आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहाँ शिक्षा से ज़्यादा चर्चा जातीय वर्चस्व की हो रही है। विशेष रूप से जाट और गुर्जर समुदायों के बीच उभरता टकराव न सिर्फ शैक्षणिक माहौल को विषाक्त बना रहा है, बल्कि छात्रों के भविष्य पर भी एक स्थायी प्रश्नचिह्न लगा चुका है। यह संघर्ष विचारों का नहीं, वर्चस्व का है — और इस लड़ाई की सबसे बड़ी कीमत चुका रहे हैं वे छात्र, जो शिक्षा के लिए यहाँ आए थे, न कि किसी जातीय मोर्चेबंदी का हिस्सा बनने।
