कसीनो, जुआ, दबंगई, अवैध निर्माण जैसे तमाम मामलों को लेकर उठ रहे सवाल, नेता मौन
शारदा रिपोर्टर
मेरठ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार समाजवादी पार्टी शासन में बिगड़ी कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए अपनी सरकार की व्यवस्था के कसीदे पढ़ रहे हैं। लेकिन मेरठ के हालात कुछ और ही बयां कर रहे हैं। यहां भाजपा के आला नेताओं और मंत्रियों के करीबी ही सरकार के कानून व्यवस्था के दावों को ठेंगा दिखा रहे हैं।
गुरूवार को पार्षद रविंद्र द्वारा निगम कर्मचारी को गोली मारने के बाद अब भाजपाइयों पर सवाल उठने लगे हैं। यह वही पार्षद है, जिसने अपनी ही पार्टी की एक महिला नेत्री का अश्लील वीडियो वायरल किया था और उस पर मुकदमा भी दर्ज हुआ था। लेकिन मंत्री के करीबी होने का लाभ उठाते हुए न केवल वह उस मुकदमे में कार्रवाई से बच गया, बल्कि इसकी दबंगई ऐसे ही चलती रही। अब जनता की नजर इस पर होने वाली कार्रवाई पर टिकी है। क्योंकि एक बार फिर से चर्चा है कि राज्यमंत्री के दबाव में कर्मचारियों को समझा-बुझाकर केस को कमजोर करते हुए रविंद्र को लाभ दे दिया जाएगा।
मंगलवार देर रात दौराला थाना क्षेत्र में पकड़े एक बड़े जुए के पीछे भी भाजपा पर सवाल उठ रहा है। हालांकि भाजपा नेता इससे पल्ला झाड़ रहे हैं। उनकी दलील है कि मुख्य आरोपी अंकित मोतला की माताजी निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हैं। अंकित के पास भाजपा में कोई पद भी नहीं है। लेकिन लगातार क्षेत्र में भाजपा नेताओं के साथ उसके होडिँग लगे नजर आते हैं। वह भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री से लेकर विधायकों, बड़े नेताओं के साथ पार्टी कार्यक्रमों में शिरकत करता भी नजर आता है। इस मामले में एसएसपी ने पुलिस कर्मियों पर तो सख्त कार्रवाई कर दी, लेकिन क्या अंकित मोतला पर भी सख्त कार्रवाई हो पाएगी? यह सवाल उठ रहा है।
इससे पूर्व होटल हारमनी इन में कसीनो चलते पकड़ा गया था। यहां के होटल मालिक सीधे-सीधे भाजपा से जुड़े हैं। तमाम वरिष्ठ नेता और मंत्री उनके होटल में आते-जाते रहते हैं। कई नेताओं से उनकी करीबी है। इस प्रकरण में अन्य आरोपी भी भाजपा नेताओं के करीबी हैं।
अवैध निर्माण और सरकारी जमीन पर भी कब्जे
भाजपा के कई नेता बिल्डर बने बैठे हैं। इनमें कई सरकार के दम पर अवैध निर्माण किए बैठे हैं। इनमें कई ने तो अवैध कॉलोनियां भी काट रखी हैं। यह बात अलग है कि मेडा को दूसरे बिल्डरों की कॉलोनियां तो नजर आती हैं, लेकिन इनकी कॉलोनियां नजर नहीं आती हैं। मवाना रोड पर तो एक राज्यमंत्री की हिस्सेदारी में ही कॉलोनी कट रही हैं। वहीं मवाना कसबे में सरकारी जमीन पर कब्जे की शिकायतें लगातार आ रही हैं। खादर क्षेत्र में भी दलितों की जमीन पर दबंग कब्जा कर रहे हैं। जिसे लेकर वो आंदोलन भी कर रहे हैं। इसमें भी सत्ता से जुड़े नेताओं का संरक्षण भूमाफियाओं मिलने के आरोप हैं।