शारदा रिपोर्टर मेरठ। जंतु विज्ञान विभाग में वोकल इथोलोजी, एक्सप्लोरिंग एवियन बिहैवियर साउंड विषय पर एक संवादात्मक बातचीत का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य वक्ता डॉ गरिमा सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, सरदार भगवन सिंह यूनिवर्सिटी देहरादून रही। उन्होंने पक्षियों के मधुर संगीत के बारे में कहा कि पक्षियों का चहचहाना दो तरह का हो सकता है, एक- कॉल्स एवं दूसरा सा-ँग। इनके गाए जाने के अनेक कारण हो सकते है, जैसे कुछ कॉल्स अलार्म कॉल्स होंगी जो सुबह के समय गायी जाती है।
बेग्गींग कॉल्स चूजे द्वारा नर एवं मादा पक्षियों से भोजन मांगने के लिए गायी जाती है। इसी प्रकार प्रजनन काल में नर पक्षी मादा को मोहित करने के लिए सॉन्ग गाता है, कभी कभी मादा का सॉन्ग भी सुनने को मिलता है। इन्होने यह भी बताया की कैसे हम अपने आस-पास के वातावरण में पक्षियों का ध्यान रख सकते है। पक्षियों के गायन सुनने से सबका मन प्रसन्न एवं तनाव मुक्त होता है।
डॉ गरिमा सिंह ने जूलॉजिकल सर्वे आॅफ इंडिया से पक्षियों के बिहैवियर एवं आवाज के पीछे के रहस्य पर पीएचडी किया है। एमएससी , बीएससी की छात्राओं तन्वी कश्यप , प्राची , लायबा, आयुषी , कलश , भावना, निधि सोनी एवं अन्य सभी छात्राओं की सक्रिय भागीदारी ने कार्यक्रम को सफल बनाया। जूलॉजी संगठन की संयोजिका प्रोफेसर मंजू सिंह, सहसंयोजिका मिस प्रियंका तथा प्रोफेसर कल्पना चौधरी के विशेष योगदान से कार्यक्रम का सफल आयोजन हुआ।
डॉक्टर गरिमा , डॉ शशि बाला , शिवानी , श्वेतिमा ,प्रियंका ,रोहित एवं मनोज की सक्रिय भागीदारी रही। प्राचार्या प्रोफेसर निवेदिता कुमारी ने अपने आशीर्वचनों से छात्राओं का उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन किया। अंत में प्रोफेसर मंजू सिंह ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।