- रजिस्ट्रेशन चंद का, शहर में दौड़ रहे 75 हजार से ज्यादा ई-रिक्शा, जिम्मेदार बैठे हैं मौन।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। शहर में ई-रिक्शा जी का जंजाल बन गये है। शहरभर में करीब 75 हजार ई-रिक्शा का संचालन हो रहा है, जिसमें 2000 ई-रिक्शा का संचालन केवल हापुड़ अड्डा चौराहा से भूमिया के पुल के बीच हो रहा है। 75 हजार को छोड़िये, 2000 ई-रिक्शा के संचालन को रोकना मुश्किल हो रहा है। जिसको देखते हुए बाईपास स्थित होटल दि मार्स में मेरठ विकास प्राधिकरण(मेडा) की ओर से आयोजित हैकाथन-2024 में राज्यसभा सांसद डा.लक्ष्मीकांत वाजपेयी से लेकर कैंट विधायक अमित अग्रवाल तक ने ई-रिक्शा के जंजाल को प्रमुखता से उठाया।
विधायक अमित अग्रवाल ने जोर देकर कहा कि शहर में ई-रिक्शा के संचालन को व्यवस्थित करना अब बहुत जरुरी हो गया है। इसकी संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है, जो ट्रैफिक व्यवस्था के लिए काफी मुश्किल भरा है। उन्होंने कहा कि करीब 75 हजार ई-रिक्शा का संचालन हो रहा है। ऐसे में ट्रैफिक को लेकर दिक्कत होना ही है। राज्यसभा सांसद डा.लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि, शहर में ट्रैफिक व्यवस्था में ई-रिक्शा एक बड़ी समस्या है। इसे व्यवस्थित करना ही होगा, अन्यथा कोई फायदा नहीं होगा।
जब जोन-1 के प्रस्तावों की चर्चा होने लगी तो हापुड़ अड्डा चौराहा से भूमिया के पुल तक सड़क मार्ग का विकास, डिवाइडर, रेलिंग की बात हुई तो फिर ई-रिक्शा का मामला आ गया। ट्रैफिक इंस्पेक्टर ने कहा कि हापुड़ अड्डा से भूमिया के पुल के बीच करीब 2000 ई-रिक्शा का संचालन हो रहा है, जिसे रोकना मुश्किल हो रहा है। इस बात से साफ है कि, मेरठ शहर में अब ई-रिक्शा का संचालन जी का जंजाल बन गया है। इसे हर हाल में व्यवस्थित किया जाना होगा।
अब है सख्ती की जरुरत: रोजाना समय और पेट्रोल-डिजल की बबार्दी की वजह बन रहे ई-रिक्शा को अब व्यवस्थित करने की जरुरत है। इसके लिए बिना किसी भेदभाव के सख्ती से कार्रवाई होनी चाहिए। यदि किसी सड़क पर ई-रिक्शा का संचालन नहीं होना है, तो फिर नहीं होना है। इसे सुनिश्चित करना पड़ेगा।
स्टीकर की व्यवस्था भी बेअसर
ट्रैफिक पुलिस ने ई-रिक्शा जोन बनाकर स्टीकर की व्यवस्था की थी, जो अब बेअसर साबित हो रहा है। जिस सड़क पर मर्जी तो वहां ई-रिक्शा का संचालन हो रहा है। इस पर कंट्रोल नहीं हो रहा है।
नो एंट्री में खूब दौड़ रहे ई-रिक्शा
शहर के बढ़ते जाम को देखते हुए ट्रैफिक विभाग ने शहर के कई ऐसे इलाकों में नो एंट्री के बोर्ड लगाए, जहां सुबह से लेकर शाम तक ज्यादा भीड़ रहती है। ताकि वहां जाम की स्थिति उत्पन्न नहीं हो। लेकिन ट्रैफिक विभाग की इस कोशिश को भी ई-रिक्शा चालक पलीता लगाने में लगे हुए हैं। जबकि, अधिकांश इलाकों में देखा जाता है कि, ई-रिक्शा चालकों को कई बार खुद ट्रैफिक पुलिस कर्मी आने जाने से नहीं रोकते, जिसका फायदा उठाकर ई-रिक्शा चालक इन रोड़ से निकलते हैं और फिर एक बार लोगों को जाम के झाम से दो चार होना पड़ता है।