– जाकिर कॉलोनी में हुए हादसे में मकान निर्माण में हुई लापरवाही आई सामने, कमजोर नींव पर बना था तीन मंजिला मकान
शारदा रिपोर्टर
मेरठ। मिट्टी के चिनाई से भरी गई नींव पर खड़ी तीन मंजिला इमारत आखिर कब तक टिकती? एक न एक दिन तो ऐसा हादसा होना ही था। ऊपर से जल निकासी की भी उचित व्यवस्था न होने से मकान की नींव धंसी और पूरी इमारत भरभराकर गिर गई और उसके नीचे दबकर थम गई दस लोगों के साथ ही गर्भ में पल रहे सात माह के शिशु की सांसे।
जाकिर कॉलोनी में हुए भीषण हादसे से शहर के लोगों को सबक लेना चाहिए। शनिवार शाम को जिस तरह मकान गिरा और उसके नीचे पूरा दब गया, वह कोई अचानक हुआ हादसा नहीं था, बल्कि की पटकथा बहुत पहले से लिखी जा चुकी थी। इस तीन मंजिला मकान के बनाने में पूरी तरह लापरवाही बरती गई।
मकान पिलर पर तो क्या बनता, उसकी नींव तक की चिनाई सीमेंट से नहीं बल्कि मिट्टी से की गई थी। उसके ऊपर ही तीन मंजिल का मकान खड़ा कर दिया गया। इस मकान के भूतल पर डेयरी चल रही थी। अवैध रूप चल रही इस डेयरी से जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं थी, ऐसे में यहां पर रोजाना पशुओं को नहलाने, उनके गोबर मूत्र को साफ करने में जो भी पानी प्रयोग हो रहा था, उसका बड़ा भाग जमीन और दीवारों में रिस रहा था। जिस कारण लगातार नींव दरक रही थी। दूसरी और तीसरी मंजिल पर बकरी और मुर्गों के बीच परिवार रह रहा था।
मौके की स्थिति साफ बता रही थी कि यदि यह बारिश न हुई होती तो यह मकान कुछ दिन और खड़ रह सकता था, लेकिन हलके भूकंप या अन्य किसी कारण से गिरता जरूर। क्योंकि कच्ची मिट्टी से चिनाई कर खड़ी दीवारों में सीलन आ चुकी थी।
नगर निगम की लापरवाही भी उजागर
इस मकान में चलने वाली डेयरी को बंद करने के लिए नगर निगम ने पूर्व में नोटिस जारी किया था। लेकिन जैसा हर बार होता है, यहां भी वैसा ही हुआ। नगर निगम के कारिंदे अपनी कार्रवाई को नोटिस तक सीमित कर सांठगांठ कर चुप्पी साधकर बैठ गए। जिससे रोजाना पानी का रिसाव होता रहा और बड़े हादसे का सबब बन गया।
होनी चाहिए जांच
जाकिर कालोनी ही नहीं बल्कि शहर के जिम्मेदार लोगों का मानना है कि इस तरह के मकान प्रशासन को चिन्हित कराने चाहिए। ताकि भविष्य में इस प्रकार के हादसों पर रोक लग सके। क्योंकि अभी भी खासतौर पर पुराने शहर में ऐसे मकान बड़ी संख्या में हैं।