- उत्तर प्रदेश केमिस्ट संघर्ष समिति के सम्मेलन में जुटे कई प्रदेशों के कारोबारी,
- सम्मेलन में रखे गए चार प्रस्ताव।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। उत्तर प्रदेश केमिस्ट संघर्ष समिति का प्रदेश स्तरीय सम्मेलन सोमवार को चैंबर आॅफ कॉमर्स में आयोजित हुआ। व्यापारियों ने दवा कंपनियों पर मनमानी करने का आरोप लगाया। कहा कि कंपनियां व्यापारियों का शोषण कर रही हैं। उनकी मनमानी नहीं चलने दी जाएगी। जो कंपनी व्यापारियों की बात सुनेगी, उसी के साथ कारोबार किया जाएगा।
समिति संस्थापक गोपाल अग्रवाल ने कहा कि उनकी लड़ाई किसी केमिस्ट संगठन से नहीं बल्कि दवा कंपनियों से है। कहा कि दवा निमार्ता अपने मुनाफे के लिए व्यापारियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही हैं। कंपनियां डॉक्टर से अपनी दवाइयां के पर्चे लिखवा रही हैं। दवा व्यापारियों ने कहा कि कंपनियां बाजार मूल्य से 30 से 40 फीसदी कम कीमत पर डॉक्टरों को दवा सप्लाई करती हैं, जबकि डॉक्टर उसे एमआरपी पर बेच रहे हैं। यदि कंपनियां सस्ती दवा बेचना चाहती हैं तो वह दवा सस्ती देने के बजाय एमआरपी को कम कर दें। इससे हर व्यक्ति को फायदा होगा। अध्यक्षता वाराणसी के रमेश महेश्वरी ने की।
सम्मेलन में उत्तर प्रदेश केमिस्ट फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष जालौन के केके गहोही, कानपुर से मीडिया प्रभारी सुमित पाहवा, पश्चिम बंगाल के जयदेव सरकार, महाराष्ट्र के नरेन्द्र जैन, दिल्ली के कैलाश गुप्ता, छत्तीसगढ़ से देवराज, मध्य प्रदेश से विष्णु सिंघल, हरियाणा से राजकुमार, गाजीपुर से पुनीत बंसल, आगरा से आशीष, अश्वनी राय समेत बड़ी संख्या में दवा कारोबारी उपस्थित रहे।
प्रदेश संघर्ष समिति संयोजक कानपुर के राजेंद्र सैनी ने कहा कि एक माह में संगठन को पूरे प्रदेश में विस्तार दिया जाएगा। रामावतार तोमर, सुधीर चौधरी, मनोज अग्रवाल, अरुण शर्मा, अंकुर सारण, ललित गुप्ता रहे।
ये रखे गए प्रस्ताव
- एक्सपायरी दवाओं के क्लेम की समय सीमा समाप्त हो।
- कंपनियां डॉक्टरों को सीधे दवा की सप्लाई न करें।
- कंपनियां अपनी मर्जी से माल न भेजकर व्यापारी के आॅर्डर के अनुसार सप्लाई करें
- आॅनलाइन दवा की बिक्री बंद की जाए।