Friday, June 27, 2025
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टेंडर नियमों का उल्लंघन कर निगम में भ्रष्टाचार की तैयारी !

  • चहेतों को विकास कार्यों के टेंडर देने के लिए नियमों से खेल कर निगम को भी होगी आर्थिक क्षति।

शारदा रिपोर्टर मेरठ। नगर निगम में एक बार फिर से टेंडर रेट से 15 प्रतिशत से भी कम रेट पर टेंडर डालने वालों को अब राहत न देकर उनकी तकनीकी जांच के नाम पर टेंडर निरस्त करने की तैयारी हो रही है। जिससे न केवल निगम को आर्थिक क्षति पहुंचेगी, बल्कि भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलेगा। पूर्व पार्षद ललित नागदेव ने नगर आयुक्त सहित मंडलायुक्त और नगर विकास मंत्री को इस संबंध में पत्र लिखा है।

पूर्व पार्षद ललित नागदेव ने बताया कि नगर निगम मेरठ के निर्माण विभाग द्वारा कराये जाने कार्यों हेतु एक टेण्डर प्रक्रिया का पालन किया जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप नगर निगम के आर्थिक हितों के अनुकूल न्यूनतम निविदा मूल्य डालने वाली निविदा का कार्य का आवंटन किया जाता है। इसी प्रक्रिया का पालन
सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा भी किया जाता है। उप्र नगर निगम टेंडर नियमावली 1963 में भी इसी प्रक्रिया का प्राविधान है।
लेकिन अब नगर निगम मेरठ के निर्माण विभाग द्वारा मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में जनवरी 2012 को हुई बैठक के कार्यवृत्त को आधार मानकर 15 प्रतिशत निम्न से निम्नतर निविदा को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इन टेंडरों को फाइनेंशियल बिड खुलने के बाद उसकी तकनीकी जांच के बाद ही स्वीकृति दी जाएगी। जो कि पूरी तरह गलत है।

ललित नागदेव ने कहा कि जब फाइनेंशियल बिड खुल जाएगी तो जांच का क्या औचित्य रह जाएगा। ऐसे में साफ है कि नगर निगम को आर्थिक नुकसान और चहेतों को टेंडर देकर लाभ पहुंचाने की नियत से यह हो रहा है। उन्होंने बताया कि पूर्व में भी नगर निगम ने यह तैयारी की थी, लेकिन उन्होंने तत्कालीन नगर आयुक्त मनीष बंसल को पत्र लिखकर उसे रूकवा दिया था। लेकिन एक बार फिर से कुछ लोगों को लाभ देने के लिए नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। उन्होंने इस पर रोक लगाने की मांग की है।

वहीं इस मामले में पूर्व में पार्षद संजय सिंह सैनी और पवन चौधरी भी नगर आयुक्त को पत्र लिखकर इस बदले नियम को निरस्त करने की मांग कर चुके हैं।

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