– बजट की बैठक में अन्य मुद्दों की अनुमति देकर महापौर कर गए गलती।
– अब सदन के भीतर और बाहर की घटना को एक करने का हो रहा प्रयास।
शारदा न्यूज, रिपोर्टर |
मेरठ। नगर निगम बोर्ड की बजट बैठक में महापौर की नासमझी और भाजपा पार्षदों का अति उत्साह पार्टी की किरकिरी करा बैठा है। अब हालत ये है कि न उगले बन रहा है और न ही निगलते बन रहा है। सदन के भीतर हुए हंगामें और सदर के बाहर हुई मारपीट की घटना कानून अलग-अलग हैं, लेकिन भाजपाई अब इसे एक बनाने पर अड़े हुए हैं। जिसके चलते उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
30 दिसंबर को नगर निगम बोर्ड की बजट बैठक थी। इस बैठक में किसी अन्य विषय पर कोई चर्चा नहीं होनी थी। लेकिन भाजपा पार्षद बजट पर चर्चा से अलग विषयों पर बोलने लगे। महापौर ने भी उन्हें नहीं रोका। जब पार्षद रेखा सिंह ने मुस्लिम वर्ग को टारगेट किया तो विपक्षी पार्षदों ने इसका विरोध किया, जिस पर महापौर ने बीच बचाव के बजाए चुप्पी साध ली और पार्षद आमने सामने आ गए और हंगामा शुरू हो गया।
यदि महापौर चाहते तो वह पहल कर रेखा सिंह के बयान को परिचर्चा से बाहर करने की बात कहते हुए उन्हें टोक सकते थे कि यह बैठक के एजेंडे में शामिल नहीं है। वहीं विपक्षी पार्षदों को भी रेखा सिंह के बयान पर शांत करा देते तो मामला वहीं शांत हो जाता। लेकिन महापौर की नासमझी में साधी गई चुप्पी बवाल बन गई।
दोनों मामले हैं अलग-अलग
नगर निगम एक्ट और कानून की बात करें तो सदन के भीतर हुए हंगामें की घटना अलग है। उसमें पुलिस का कोई हस्तक्षेप तब तक नहीं हो सकता, जब तक महापौर खुद पुलिस को बुलाकर मामले में हस्तक्षेप न कराएं। वहीं सदन के बाहर जो मारपीट हुई, वह सार्वजनिक स्थल पर हुई मारपीट का मामला है, जिसमें पुलिस का सीधे हस्तक्षेप है और घटना भी पुलिस के सामने हुई। ऐसे में भाजपा इस पूरे मामले में फंस गई है।
कमेटी में किसे रखें इस पर नहीं बन रही सहमति
नगर आयुक्त निगम बोर्ड के सचिव होते हैं। ऐसे में वह जांच नहीं कर सकते हैं। इस पूरे मामले की जांच में सर्वदलीय जांच कमेटी गठित हो सकती है। लेकिन भाजपा के कुछ नेता इसके पक्ष में नहीं है। वह जांच को एक तरफा बनाने के लिए अपने-अपने विचार रख रहे हैं। जिस कारण घटना के पांच दिन बाद भी जांच कमेटी गठित नहीं हो पाई है।
अब महिलाओं को आगे ला रही भाजपा
भाजपा का महानगर नेतृत्व चार दिन से अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। भाजपाइयों को गुमान था कि अपनी सरकार में वह कुछ भी करा सकते हैं। लेकिन कानून के आगे अब सब बेबस नजर आ रहे हैं। अधिकारियों को भी अपने फंसने का डर है।
ऐसे में अब भाजपा ने महिलाओं को आगे लाने का निर्णय लिया है। बुधवार को भाजपा की महिला पार्षदों को अपने-अपने वार्ड से 25-25 महिलाएं लेकर कलक्ट्रेट पहुंचने के लिए कहा गया है, वहीं महिला मोर्चा को इसकी अगुवानी करने की जिम्मेदारी दी गई है।