- पूरे देश में बीस बीएलओ की हुई मौत.
कोलकाता। देश के 12 राज्यों में इस समय मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का काम किया जा रहा है। इसको लेकर विवाद भी देखने को मिल रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ इस काम करने वाले बीएलओ की मौत के मामले भी सामने आ रहे हैं। बीते दिन इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी हुई। अब पश्चिम बंगाल में चल रही एसआईआर में 28 लाख लोगों के नाम काट दिए गए हैं।

पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का काम जारी है। वोटर फॉर्म के 78% डिजिटाइजेशन हो चुका है। अभी भी 22 प्रतिशत डिजिटाइजेशन बचा हुआ है। इसके बाद अब तक 28 लाख लोगों के नाम काट दिए गए हैं। इन 28 लाख में से 9 लाख वोटर मर चुके हैं। इसके अलावा बाकी बचे हुए लोग लापता हैं। यही वजह है कि इनके नाम काट दिए गए हैं।चुनाव आयोग के अधिकारी की तरफ से बताया गया कि पश्चिम बंगाल की मौजूदा वोटर लिस्ट में करीब 26 लाख वोटर्स के नाम 2002 की वोटर लिस्ट से मैच नहीं कर रहे हैं. यह अंतर तब सामने आया जब राज्य की लेटेस्ट वोटर लिस्ट की तुलना पिछले एक्सरसाइज के दौरान 2002 और 2006 के बीच अलग-अलग राज्यों में तैयार की गई लिस्ट से की गई।
एसआईआर पर ममता का हमला
ममता बनर्जी एसआईआर पर लगातार सरकार को घेर रही हैं। इसके साथ ही चुनाव आयोग पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बुधवार को कहा कि एक साजिश है, यह पीछे के रास्ते से एनआरसी करवाने की साजिश है। ममता ने बीएसएफ को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, घुसपैठियों के बंगाल में होने का प्रचार किया जा रहा है, लेकिन ये आए कैसे? इन्हें बंगाल में घुसने किसने दिया?
देश के 12 राज्यों में 51 करोड़ मतदाताओं के घर-घर तक बीएलओ पहुंच रहे हैं। 12 राज्यों में 5 लाख से ज्यादा बीएलओ काम कर रहे हैं। हालांकि इन पर काम का दबाव काफी ज्यादा है। यही वजह है कि अब तक 20 से ज्यादा बीएलओ की मौत हो चुकी हैं। लगातार हो रही इस तरह की मौतों से चिंता बढ़ गई है। इन मौतों पर सियासत जोरों पर है। बुधवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी हुई। कोर्ट ने चुनाव आयोग से इस मामले में जवाब तलब किया है। वहीं इन सब मौतों के अलावा सीएम ममता बनर्जी ने दावा किया कि अकेले पश्चिम बंगाल में ही 30 ज्यादा बीएलओ की मौत हुई है।



