– 24 गांवों की 30 हजार आबादी बाढ़ में फंसी।
आगरा। शहर में यमुना के जलस्तर कम होने से राहत मिलना शुरू हो गई है, वहीं बाह के बटेश्वर में आफत अभी बनी हुई है। बटेश्वर के साथ 9 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। पिछले कई दिन से रौद्र रूप दिखा रही यमुना का जलस्तर आगरा के शहरी क्षेत्र में कम होना शुरू हो गया है। बृहस्पतिवार को वॉटर वर्क्स पर यमुना का जलस्तर 499.4 फीट रहा। जलस्तर नीचे जाने के साथ ही शहर के तटीय क्षेत्रों कैलाश मंदिर के आसपास, दयालबाग क्षेत्र, बल्केश्वर, बेलनगंज तथा यमुना पार की कॉलोनियों में भी लोगों को राहत मिलने लगी है।
हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी यमुना में आई बाढ़ से राहत नहीं मिल रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि रीठई के रास्ते उटंगन नदी का पानी आने से यमुना का जलस्तर घटने की बजाय बढ़ गया है। फिलहाल जिला प्रशासन ने बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है। साथ ही लोगों को राहत सामग्री वितरित करने का सिलसिला जारी है।
उटंंगन नदी का पानी यमुना नदी में आने से बटेश्वर की 101 शिव मंदिर शृंखला के 22 मंदिर आधे से ज्यादा डूब गए हैं। बुजुर्ग पुत्तूलाल, प्रेमपाल गोस्वामी आदि ने बताया कि उटंगन के पानी की वजह से बटेश्वर में बाढ़ का मंजर भयावह बना हुआ है। जलमग्न घाटों पर उफान इतना तेज है कि कोई निकले तो पानी के साथ ही बह जाए। उफान का पानी घाटों से बहकर मंदिर कॉरिडोर के रास्ते बटेश्वर गांव की गली, सड़क पर 5 से 6 फीट ऊपर तक बह रहा है।
शौरीपुर, कलींजर, स्याइच, टोका, मोरहारी, बुढै़रा गांव की सड़क जलमग्न हैं। सड़क किनारे की दुकानों में बाढ़ का पानी भर गया है। कल्यानपुर, भरतार गांव भी बाढ़ से घिरे हुए हैं। बस्ती तक पानी पहुंचने का खतरा पैदा हो गया है।
बटेश्वर के चरन सिंह यादव, रामसिंह आजाद, डॉ. शिव सिंह वर्मा, जसवंत सिंह यादव, नरेंद्र चंद्रवंशी आदि ने बताया कि सड़क पर 4 इंच पानी जरूर कम हुआ है, लेकिन उटंगन के पानी के आने की वजह से 1978 जैसे बाढ़ के हालात पैदा होने के खतरे से ग्रामीण सहमे हुए हैं। बुधवार रात में भी कई बस्तियों और घरों तक बाढ़ का पानी पहुंच गया था। तेज बहाव डराने वाला है। पुराने स्तर पर बाढ़ के पहुंचने के अंदेशे से गांव के लोग घबराए हुए हैं। बटेश्वर में बाढ़ क्षेत्र में लोगों को प्रवेश से रोकने के लिए सड़क पर बेरीकेड लगाए गए हैं। रेस्क्यू के लिए एसडीआरएफ की टीम भी पहुंच गई है। एसडीएम बाह संतोष कुमार शुक्ला ने बताया कि बचाव राहत के लिए प्रशासन मुस्तैद है।
बाढ़ भी नहीं रोक पाई ब्रह्मलाल और यमुना की आरती
बाढ़ में बटेश्वर के ब्रह्मलाल महाराज जल समाधि लिए हुए हैं। मंदिर के बाहर नंदी महाराज डूबे हुए हैं। मंदिर बाजार की सड़क पर 9 फीट तक पानी बह रहा है। बृहस्पतिवार की सुबह और शाम को पुजारी पानी से होकर ब्रह्मलाल महाराज के अभिषेक और यमुना की आरती के लिए पहुंचे। बाढ़ भी उन्हें पूजा अनुष्ठान से नहीं रोक पाई। मंदिर के पुजारी जय प्रकाश गोस्वामी ने बताया कि वर्ष 1978, 2010 के बाद ब्रह्मलाल ने बाढ़ के जल में समाधि ली है। समाधिस्थ ब्रह्मलाल महाराज की छाती तक भरे पानी में पूजा की गई है। आरती और शृंगार पूजा के बाद मंदिर के पट बंद कर दिए गए। मंदिर के प्रबंधक अजय भदौरिया ने बताया कि जब तक ब्रह्मलाल महाराज मंदिर में कालिंदी की तेज जल धारा रहेगी, तब तक मंदिर के पट बंद रहेंगे। उन्होंने श्रद्धालुओं से मंदिर में दर्शन पूजन के लिए न आने की अपील की है।
डूबी हैं तीन हजार हेक्टेयर से ज्यादा रकबे में फसलें
यमुना की बाढ़ ने बाह के 24 गांवों की 30 हजार की आबादी को अपनी चपेट में लिया है। करीब 40 गांवों में 3 हजार हेक्टेयर से ज्यादा रकबे में बाजरा, तिल और सब्जी की फसलें पानी में डूबी हैं। किसानों को घरों में भरे पानी से ज्यादा डूबी हुई फसलों की चिंता सता रही है। बुढैरा, स्याइच, मोरहारी, टोका, सुंसार, बड़ापुरा, चरीथा, बाग गुड़ियाना, खिलावली, कटरा, पुरा दसू, प्रेम नगर, विक्रमपुर घाट, पई हार, कोट, पुरा रघुवर, नौगवां हार, पुरा चतुर्भुज, कचौरा घाट, कल्यानपुर, भरतार, गगनकी, रामपुर चंद्रसेनी, मई गांव पानी से घिरे हुए हैं। कचौराघाट, बड़ापुरा, लखीपुरा, चरीथा, गुडियाना, खिलावली, कटरा, पुरा दसू, प्रेम नगर, विक्रमपुर घाट, पई हार, पुरा रघुवर, गगनकी, बटेश्वर गांव की गलियों से लेकर घरों में पानी भरा है।