Home Cricket News World Cup 2023 Countdown-6: 1992 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान बना चैंपियन

World Cup 2023 Countdown-6: 1992 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान बना चैंपियन

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Countdown-6

* वसीम अकरम बने जीत के हीरो
* पहली बार रंग बिरंगे कपड़ो में खेले खिलाड़ी
* फिल्डिंग के बदले गए नियम
* सचिन तेंडुलकर का पहला वर्ल्ड कप था

 

Editor Gyan Prakash
ज्ञान प्रकाश, संपादक. शारदा न्यूज़।

1992 का वर्ल्ड कप कई मायनों में पिछले चार वर्ल्ड कप से काफी में अलग था। फाइनल मैच में पाकिस्तान ने इंग्लैंड को 22 रनों से हरा कर खिताब जीता था। पहली बार वर्ल्ड कप में रंग बिरंगे कपड़ो का प्रयोग किया गया था। इसके अलावा फील्डिंग को लेकर नए नियम भी लागू किए गए थे। भारत की तरफ से सचिन तेंदुलकर ने पहला वर्ल्ड कप खेला।

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रंगभेद की नीति के कारण लगी पाबंदी हटने के बाद पहली बार दक्षिण अफ़्रीका की टीम ने इस विश्व कप में हिस्सा लिया। इस बार नौ टीमों ने विश्व कप में हिस्सा लिया। टीमों को किसी ग्रुप में नहीं बांटा गया। राउंड-रॉबिन के आधार पर 36 मैच खेले गए और चार शीर्ष टीमों को सेमीफाइनल में प्रवेश मिला।

मौजूदा चैंपियन और मेजबान ऑस्ट्रेलिया पर दबाव कुछ ज्‍यादा ही था और उसे इसका नुकसान ही हुआ। ऑस्ट्रेलिया की टीम अपना पहला मैच ही हार गई।ऑस्ट्रेलिया को दक्षिण अफ्रीका ने भी हराया और इंग्लैंड ने भी। पाकिस्तान ने विश्व कप में अपनी शुरुआत काफी खराब की। वेस्टइंडीज के खिलाफ पहला मैच वे 10 विकेट से हार गए। लेकिन उनके भाग्य ने पलटा खाया इंग्लैंड के खिलाफ मैच में। इंग्लैंड ने उन्हें सिर्फ़ 74 रन पर आउट कर दिया। लेकिन बारिश के कारण मैच रद्द हो गया और पाकिस्तान को एक अंक भी मिल गया जो बाद में उसके लिए काफी अहम साबित हुआ। इसी एक अंक के अंतर के कारण ऑस्ट्रेलिया की टीम सेमीफाइनल में नहीं पहुंच पाई और पाकिस्तान को मौका मिला सेमीफाइनल में जगह बनाने का।

भारतीय टीम ने यह वर्ल्ड कप मोहम्मद अजहारुद्दीन की कप्तानी में खेला।

भारत का पहला मैच इंग्लैंड से पर्थ में हुआ और इस रोमांचक मुकाबले में भारतीय टीम 237 रनों के स्कोर का पीछा करते हुए नौ रनों से हार गई । भारत के लिए यह टूर्नामेंट की अच्छी शुरुआत तो नहीं थी, लेकिन टीम ने जिस तरह से इंग्लैंड का मुकाबला किया, आने वाले मैचों में कुछ उम्मीदे बंधी। भारतीय टीम का अगला मैच श्रीलंका के खिलाफ था, लेकिन बारिश में यह मैच धुल गया और भारत और एक अंक मिला। इसके बाद भारत ने अपना मैच तत्कालीन चैंपियन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिसबेन में खेला।

यह मैच रोमांच की इंतहा पार कर गया। ऑस्ट्रेलिया ने पहले खेलते हुए 50 ओवरों में 237/9 का स्कोर बनाया। जवाब में भारत ने कप्तान अजहरुद्दीन के 93 रनों की बदौलत मैच लगभग जीत लिया था, लेकिन लगातार दो रन आउट (मनोज प्रभाकर और राजू) के कारण भारत यह मैच एक रन से यह मैच हार गया। भारत के लिए अगला मैच बेहद महत्वपूर्ण था जो सिडनी में पाकिस्तान के खिलाफ खेला गया। भारत ने यहां वर्ल्ड कप 1992 की पहली जीत हासिल की। पहले खेलते हुए भारत ने 216/7 का स्कोर नाया और पाकिस्तान को 173 रनों पर ऑल आउट कर दिया। यह मैच इसके परिणाम से अधिक जावेद मियांदाद और किरण मोरे के लिए याद किया जाता है।
इस विश्व कप में भारत की टीम पाँच अंक के साथ सातवें नंबर पर थी। भारत अपना दो मैच ही जीत पाया था, जिसमें एक मैच पाकिस्तान के ख़िलाफ़ था।

22 साल तक रंगभेद नीतियों के कारण साउथ अफ्रीका पर बैन लगा था। टीम पहली बार वर्ल्ड कप में उतरी थी, लेकिन मैच के रिजल्ट ने उसे करारा झटका दिया। मैच पर पहले से ही बारिश का खतरा था, लेकिन साउथ अफ्रीका के कप्तान केप्लर वेसल्स ने टॉस जीतकर गेंदबाजी का फैसला किया। उसके गेंदबाजों ने साढ़े तीन घंटे में सिर्फ 45 ओवर गेंदबाजी कर सके। इंग्लैंड ने इस दौरान 6 विकेट पर 252 रन बनाए।

ग्रीम हिक ने सबसे अधिक 83 रन की पारी खेली थी। जवाब में साउथ अफ्रीका की टीम 6 विकेट पर 232 रन ही बना सकी थी।इस विवाद के बाद आईसीसी ने नियम को ही बदल दिया और डकवर्थ लुईस नियम को लागू किया। हालांकि इंग्लैंड की टीम इस जीत का फायदा नहीं उठा सकी थी. उसे फाइनल में पाकिस्तान ने हराकर पहली बार वर्ल्ड कप खिताब पर कब्जा किया था। इंग्लैंड की टीम तब अंतिम 4 में से 3 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची थी, लेकिन कभी भी खिताब नहीं जीत सकी थी।

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