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विक्टोरिया पार्क अग्निकांड: आज भी अपनों की याद में जल रहे हैं दिल

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– 18 साल पहले हुए अग्निकांड में गई थी 65 लोगों की जान, कई के तन पर आज भी जख्म के निशान


शारदा रिपोर्टर

मेरठ। विक्टोरिया पार्क के वीभत्स अग्निकांड को कल 18 साल पूरे हो जाएंगे। लेकिन जिन परिवारों के लोग इस अग्निकांड की भेंट चढ़े और जो आज भी उस आग के जख्म अपने तन पर लिए घूम रहे हैं। उन्हें आज भी उस भयावह अग्निकांड का मंजर भीतर से झकझोर देता है। इस अग्निकांड में 65 लोगों की जान गई थी, कई तो ऐसे थे, जिनका पूरा परिवार ही इस हादसे में खत्म हो गया। किसी ने पति खोया, तो किसी ने पत्नी और किसी ने बेटा।

भामाशाह पार्क (विक्टोरिया पार्क) में 10 अप्रैल 2006 को कंजूम्यर मेला लगा था। शाम के समय करीब पौने छह बजे पंडाल में आग लग गई। अचानक पंडाल में आग लगने की खबर फैली तो मेले में भगदड़ मच गई। वहीं, देखते ही देखते आग ने विकराल रूप धारण कर लिया था और आग ने लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। इस वीभत्स अग्निकांड में 65 लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई थी। वहीं, इस हादसे में 81 लोग गंभीर रूप से तो 85 लोग सामान्य रूप से झुलसे थे।

आग लगने की खबर पूरे शहर में फैली तो लोग सहम उठे। जब मेले में गए लोगों के परिजनों को आग की सूचना मिली तो उनमें हाहाकार मच गया। वहीं, घटनास्थल की ओर दौड़े लोग मंजर देखते ही बेहोश हो हए। इस दौरान पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों व कर्मचारियों ने पीड़ित परिजनों को किसी तरह संभाला था।

विक्टोरिया पार्क में आयोजित कंजूम्यर मेले से पुलिस लाइन की दूरी 200 मीटर से ज्यादा नहीं थी। वहां से मदद आने में इतना समय लग गया कि कई लोग तड़पकर मर गए। जो बच पाए, उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। अस्पतालों में भी गंभीर रूप से जले हुए मरीजों के लिए बर्न मेडिकल सेंटर नहीं थे। इस वजह से इलाज भी ठीक से नहीं हो पा रहा था। मेले की आग पर काबू पाया गया, तो अंदर भी कई लोगों के शव पड़े मिले।

पीड़ित परिवारों की आंखों में आज भी तैरता है वो खौफनाक मंजर
उस खौफनाक अग्निकांड को 18 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन इन पीड़ित परिवारों की आंखों के सामने आज भी वह खौफनाक मंजर तैरता है। किसी ने पत्नी को खोया तो किसी के सिर से माता-पिता का साया उठ गया। अपनों को याद कर हर कोई भावुक हो जाता है। शरीर के जख्म तो भर गए पर अपनों से बिछड़ने का जो जख्म दिल में है वह आज भी ताजा है।

मेले में गए मनोज मिश्रा, राकेश गिरधर और राकेश खट्टर बताते हैं कि फाइबर का पंडाल पिघलकर आग का गोला बनकर गिर रहा था। लोग जान बचाने मेन गेट की तरफ भाग रहे थे। आग की लपटों में घिरे कुछ लोग किसी तरह बाहर निकल आए और जमीन पर गिर पड़े। कुछ खुद को बचाने के लिए पास ही पड़े गोबर के ढेर में घुस गए। मेला परिसर के बाहर शहर के लोग भी इकट्ठा हो गए। जिससे जितनी मदद हो सकती थी, सबने की, लेकिन कुछ के लिए बहुत देर हो चुकी थी।

मनोरंजन पार्क निवासी नरेश तायल बताते हैं कि शवों की पहचान करना मुश्किल था, जले हुए शरीर देखकर यह अंतर नहीं कर पा रहे थे कि वे पुतले हैं या फिर इंसान।

आंखों के आगे तैर जाता है सारा मंजर

ब्रह्मपुरी निवासी विपिन गोयल बताते हैं कि उनका इकलौता पुत्र अनुज गोयल मेले में गया था, लेकिन उसका जला हुआ शरीर वापस लौटा। जिक्र आते ही आज भी आंखों के सामने सारा मंजर नजर आता है। इतने साल हो गए, अभी तक मुआवजे की लड़ाई लड़ रहे हैं।

संजय गुप्ता लगातार लड़ रहे लड़ाई

लंदन स्पोर्ट्स के मालिक संजय गुप्ता ने अपने परिवार के पांच लोगों को इसमें खोया था। इस हादसे में वह टूटे, फिर संभले और अब भी लगातार इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने विक्टोरिया पार्क आहत कल्याण समिति बनाई, जिसमें सभी पीड़ितों को सदस्य बनाया। हर साल 10 अप्रैल को मृतकों की याद में भंडारा, हवन और कैंडल मार्च निकाला जाता है। संजय गुप्ता ने बताया कि मुआवजे के लिए इस केस को सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता संजय पाहवा ने लड़ा, जिन्होंने एक भी पैसा केस का नहीं लिया।

विधानसभा में उठा तो मिला इलाज का पैसा

संजय गुप्ता ने बताया कि इस हादसे के मृतकों और घायलों का इलाज मेरठ, गाजियाबाद और दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में हुआ था। शासन ने इलाज का सारा खर्च वहन करने का वादा किया था, लेकिन इलाज में खर्च हुआ करीब तीन करोड़ 80 लाख रुपये अस्पतालों का बच गया था। इस मामले को तत्कालीन विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल ने विधानसभा में उठाया था, तब पैसा जारी हुआ था।

इस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर न्यायिक आयोग पूर्व जस्टिस एसबी सिन्हा की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जा चुकी है। तमाम गवाहों और लंबी जांच के बाद इसका निष्कर्ष सामने आया। आयोग ने इस मेले के आयोजकों को घटना के लिए साठ प्रतिशत और सरकारी तंत्र को चालीस प्रतिशत दोषी माना।

लेकिन पीड़ितों को अभी तक पूरा इंसाफ नहीं मिला। पीड़ित पक्ष ने मृतकों के परिजनों के लिए 20-20 लाख रुपये मुआवजे की मांग की थी। अब तक पीड़ित पक्ष को राज्य सरकार की तरफ से सात-सात लाख रुपये मुआवजा मिल चुका है। लेकिन आयोजकों की तरफ से कुछ भी नहीं मिला है।

कल होगा होगा श्रद्धांजलि कार्यक्रम

पूर्व वर्षों की भांति इस दु:खद अग्निकांड की 18वीं बरसी पर बुधवार 10 अप्रैल 2024 को संस्था (मेरठ विक्टोरिया पार्क अग्निकांड आहत कल्याण समिति) द्वारा अग्निकांड के मृतकों की आत्मा की शांति के लिए शांति यज्ञ एवं सायंकालीन श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

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