बरेली। यात्रियों की पसंद के मामले में मेरठ-लखनऊ वंदे भारत एक्सप्रेस पिछड़ गई है। इस ट्रेन का संचालन एक सितंबर से शुरू हुआ। सप्ताह में मंगलवार को छोड़कर छह दिन संचालन होता है, लेकिन यह ट्रेन रोजाना औसतन 360 खाली सीटों के साथ दौड़ रही है।
देशभर में अलग-अलग रूटों पर दौड़ रहीं 60 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों में आॅक्यूपेंसी के मामले में 22490 मेरठ-लखनऊ वंदे भारत एक्सप्रेस 56वें स्थान पर है। इस ट्रेन का संचालन एक सितंबर से शुरू किया गया है। वहीं, 26 मई से चलाई गई 22545 लखनऊ-देहरादून वंदे भारत एक्सप्रेस 31वें स्थान पर है। ये दोनों ट्रेनें बरेली होकर चलती हैं।
मेरठ-लखनऊ वंदे भारत एक्सप्रेस आधे से ज्यादा खाली दौड़ रही है। कुल 60 में से 17 ट्रेनों में शत-प्रतिशत सीटें बुक हो रही हैं। लखनऊ-देहरादून वंदे भारत एक्सप्रेस की चेयरकार श्रेणी की 474 सीटों में औसतन 88.4 फीसदी सीटें बुक हो रहीं और 55 सीटें खाली रह जा रही है। मेरठ-लखनऊ वंदे भारत एक्सप्रेस में महज 24 फीसदी सीटें ही बुक हो रही हैं।
यह ट्रेन रोजाना औसतन 360 खाली सीटों के साथ दौड़ रही है। यात्रियों की पसंद के मामले में मेरठ-लखनऊ वंदे भारत काफी पिछड़ गई है। अधिकारियों का कहना है कि इस ट्रेन के विस्तार पर विचार किया जा रहा है। लखनऊ-देहरादून वंदे भारत का प्रदर्शन ठीक माना जा रहा है।
ये है वजह
मेरठ से लखनऊ के लिए 22453 राज्यरानी एक्सप्रेस, 14242 नौचंदी एक्सप्रेस का संचालन प्रतिदिन होता है। वंदे भारत एक्सप्रेस मंगलवार को छोड़कर सप्ताह में छह दिन चलाई जाती है। वंदे भारत एक्सप्रेस यह दूरी तय करने में 7:10 घंटे, राज्यरानी एक्सप्रेस आठ और नौचंदी एक्सप्रेस 9:10 घंटे लेती है।
वंदे भारत और राज्यरानी के आवागमन के समय में भी महज 50 मिनट का अंतर है। वंदे भारत में चेयरकार का किराया 1,355 रुपये, जबकि राज्यरानी एक्सप्रेस में चेयरकार का किराया 645 रुपये है। ऐसे में यात्री वंदे भारत के स्थान पर राज्यरानी को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं।