– वाल्मीकि आदि आरक्षण वंचित वर्ग संघर्ष समिति ने पत्रकार वार्ता में दी जानकारी।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। वाल्मीकि आदि आरक्षण वंचित वर्ग संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के सदस्यों ने बुधवार को मेरठ में सर्किट हाउस में प्रेसवार्ता की। इस दौरान उन्होंने बताया कि, सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अगस्त 2024 में अनुसूचित जाति/जनजाति आरक्षण में किये गये उप वर्गीकरण के फैसले को उत्तर प्रदेश में लागू कराने के लिए 28 नवंबर को कमिश्नरी पार्क मेरठ में एक दिवसीय सांकेतिक धरना दिया जायेगा।

समिति के संयोजक विनोद कुमार बेचैन अध्यक्ष रहिन्द्र कुमार वैद एवं महामंत्री विनेश विद्यार्थी ने बताया कि, इस मांग को लेकर संघर्ष समिति आन्दोलन करेगी। उन्होंने कहा कि, समिति की मुख्य मांगें यह है कि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जनजाति आरक्षण में किये गये वर्गीकरण को उत्तर प्रदेश में अभी तक लागू नहीं किया गया। जो कि अब तक कर दिया जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि, 23 मार्च 2018 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अति दलितों को अलग से आरक्षण दिलाने की घोषणा की थी। उक्त घोषणा से आरक्षण बंधित उपजातियों में खुशी की लहर व्याप्त हो गई थी।लगा था कि अनुसूचित जाति/जनजाति आरक्षण में हम वंचितों के बंचित युग का अंत हो गया है। अब अनुसूचित जाति/जनजाति आरक्षण में, उपवर्ग विशेष का एकाधिकार की अवधि खत्म हो गई है। उन्हें भी आरक्षित पदों पर सम्मानजनक रोजगार/नियुक्तियां मिलेगी।
किन्तु वर्ष 2018 से आज तक, अति दलितों को अलग से आरक्षण नहीं मिला, जिस अपेक्षा से वाल्मीकि, खटीक, धानक आदि वंचित उपजातियों में निराशा/असंतोष व्याप्त है। इसीलिए संघर्ष समिदि उत्तर प्रदेश सरकार से यह मांग करती है कि, सीएम योगी सुप्रीम कोर्ट के वर्गीकरण विश्यक फैसले को उत्तर प्रदेश में तत्काल लागू करें। क्योंकि, भाजपा शासित हरियाणा सरकार द्वारा प्रश्नगत फैसले को लागू कर चुकी है। अब उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लागू करना चाहिए था।
उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2001 में राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा, अनुसूचित जाति/जनजाति आरक्षण से वंचित उपजातियों को चिंहित करने तथा उन्हें भी. आरक्षण में भागीदारी दिलाने के लिए तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री बाबू हुकम सिंह की अध्यक्षता में सामाजिक न्याय समिति का गठन किया गया था। जिस समिति द्वारा 21 प्रतिशत आरक्षण में 11 प्रतिशत आरक्षण वंचित उपजातियों के लिए निर्धारित किया गया था। किन्तु वह 11 प्रतिशत आरक्षण लागू नहीं किया गया, जबकि तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार, विधेयक लाकर, (कानून में संशोधन कर) प्रश्नगत वगीर्कृत आरक्षण लागू कर सकती थी।
वहीं दूसरी और मौलिक अधिकारों में एक अधिकार समानता का अधिकार का भी अवमूल्यन हुआ है। इसलिए समिति की इस जायज मांग को सरकार जल्द से जल्द पूरा करें।



