यूपी उपचुनाव: हर सीट पर भाजपा और सपा में रही सीधी टक्कर

  • दलित वोट बनेंगे निर्णायक, आसपा की दलित वोटों में सेंध से लड़ाई से पूरी तरह बाहर दिखी बसपा।

शारदा रिपोर्टर मेरठ। उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में गहमगहमी के बीच वोटिंग संपन्न हो गई है। मतदान के बाद विभिन्न एजेंसियों द्वारा किए गए एग्जिट पोल में भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों का पलड़ा भारी दिख रहा है। समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर हैं।

वहीं, एग्जिट पोल में बसपा समेत अन्य दलों को किसी भी सीट पर जीत मिलती नजर नहीं आ रही है। एग्जिट पोल में मैट्रिज ने भाजपा को 7 और सपा को 2, टाइम्स नाउ जेवीसी ने भाजपा को 6 और सपा को 3 और जी न्यूज ने भाजपा को 5 और 4 सीटों पर जीतने का अनुमान लगाया है।

मुज्जफरनगर की मीरापुर, मुरादाबाद की कुंदरकी, गाजियाबाद शहर विधानसभा, अलीगढ़ की खैर (सुरक्षित), मैनपुरी की करहल, कानपुर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, अंबेडकर नगर की कटेहरी और मिजार्पुर की मझवां सीट पर 49.3 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट में इस बार सबसे कम वोटिंग 33.30 फीसदी वोटिंग हुई।

2022 में क्या थी स्थिति: बता दें कि विधानसभा चुनाव 2022 में सीसामऊ से सपा के इरफान सोलंकी जीतकर विधायक बने थे, जिन्हें सजा हो गई है। इसलिए इस सीट पर सपा ने उनकी पत्नी को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, फूलपुर विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रवीण पटेल विधायक चुने गए थे, जो अब सांसद निर्वाचित हो गए हैं। खैर से भाजपा से अनूप प्रधान वाल्मीकि विधायक बने थे, जो अब हाथरस से सांसद हो गए हैं। गाजियाबाद से डॉ. अतुल गर्ग भाजपा से विधायक चुने गए थे, जो सांसद निर्वाचित हो गए हैं। निषाद पार्टी के मझवां से विधायक डॉ. विनोद कुमार बिंद भी भाजपा के टिकट से भदोही से सांसद चुने गए हैं। 2022 विधानसभा चुनाव में मीरापुर से रालोद के चंदन चौहान विधायक चुने गए थे, जो अब बिजनौर से सांसद बन गए हैं।

मैनपुरी की करहल सीट से अखिलेश यादव ने 2022 में विधायक चुने गए थे। लोकसभा चुनाव 2024 में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कन्नौज से सांसद निर्वाचित हो गए हैं। कटेहरी से सपा के लालजी वर्मा विधायक चुने गए थे, जो सांसद निर्वाचित हुए हैं। मुरादाबाद की कुंदरकी से जियाउर्रहमान बर्क विधायक चुने गए थे, जो संभल से लोकसभा संसद चुने गए हैं। अयोध्या की मिल्कीपुर से अवधेश प्रसाद सपा से विधायक चुने गए थे, जो फैजाबाद लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए हैं।

पुरानी सीटों पर रह सकते हैं काबिज

कानपुर की सीसमाऊ सीट को छोड़ दें तो बाकी सभी सीटें जिस दल के कब्जे में थी, उसका उसी पर कब्जा माना जा रहा है। यदि सीसमाऊ सीट भाजपा को मिलती है तो यह सपा के लिए नुकसान होगा। जिसकी पूरी उम्मीद जताई जा रही है।

 

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