- न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के स्कूलों में 25,753 शिक्षकों, अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध ठहराया
- सीजेआई ने कहा- बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में बड़े पैमाने पर फ्रॉड हुआ
एजेंसी, नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को गुरुवार को अमान्य करार देते हुए उनकी चयन प्रक्रिया को ‘‘त्रुटिपूर्ण’’ करार दिया।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने नियुक्तियों को रद्द करने संबंधी कलकत्ता उच्च न्यायालय के 22 अप्रैल 2024 के फैसले को बरकरार रखा।
सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि वह मामले की सीबीआई जांच के खिलाफ ममता बनर्जी सरकार की याचिका पर 4 अप्रैल को सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के 25 हजार से ज्यादा शिक्षकों/स्कूल कर्मचारियों को नौकरी रद्द कर दी है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने इस बारे में पिछले साल आए हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। इसके अलावा भी इस मसले पर 120 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल हुई थीं।
अप्रैल 2024 में दिए फैसले में हाई कोर्ट ने सभी नौकरियों को रद्द करते हुए इन लोगों से ब्याज समेत पूरा वेतन वसूलने के लिए भी कहा था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो लोग नौकरी कर रहे थे, उन्हें वेतन लौटाने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 2016 में हुई पूरी नियुक्ति प्रक्रिया जोड़-तोड़ और धोखे से भरी थी।
2016 में स्टेट स्कूल सर्विस कमीशन के जरिए हुई भर्ती के लिए 23 लाख से ज्यादा लोगों ने परीक्षा दी थी, 25 हजार से ज्यादा भर्तियों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। अब सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीने में नई भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि जो पिछले उम्मीदवार बेदाग थे, उन्हें नई भर्ती प्रक्रिया में कुछ रियायत दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मानवीय आधार पर एक दिव्यांग कर्मचारी को नौकरी जारी रखने की अनुमति दी है। बाकी दिव्यांग उम्मीदवारों को नई भर्ती प्रक्रिया में कुछ रियायत देने के लिए कहा है। हाई कोर्ट ने पूरे घोटाले की सीबीआई जांच को भी चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट इस पहलू पर 4 अप्रैल को सुनवाई करेगा।