मेरठ। सोमवार को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष और उपन्यासकार प्रोफेसर विकास शर्मा ने अपने उपन्यास मीडिया रिवोल्यूशन 2030 के 10वें संस्करण में विश्वविद्यालयों में हुए भ्रष्टाचारों व आर्थिक अनियमितताओं से पर्दा उठाया।
उपन्यास में सीसीएसयू सहित अन्य विश्वविद्यालयों में कुलपतियों के भ्रष्टाचार, आर्थिक अनियमितता, परिसरों में अवैध निर्माण, असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्ति में घूस खोरी, किताबों की खरीद-फरोख्त, प्रश्नपत्रों की छपाई आदि में लिप्तता व आरोपों के कारण निलंबन के घटनाक्रमों की ओर इशारा किया है। उपन्यास में सीसीएसयू और मध्य प्रदेश के जीवाजी विश्वविद्यालय की पूर्व महिला कुलपति पर भी चल रहे मामलों का जिक्र किया गया है। 176 पृष्ठ के उपन्यास में 28 अध्याय हैं जिन्हें 1970 से 1995 और 2016 तक के विश्वविद्यालय परिसर में छात्र राजनीति, शिक्षक राजनीति व कुलपतियों की आर्थिक अनियमितता पर बुना गया है।
कहानी बुलंदशहर में एक किसान परिवार से शुरू होकर लखनऊ विश्वविद्यालय तक समाहित है। लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग की विभागीय राजनीति, उपन्यास की मुख्य किरदार डा. उज्ज्वला व उनके प्रोफेसर पति डा. कांतयोगी के कुलपति बनने, प्राध्यापकों की गुटबाजी का प्रोफेसर विकास ने उपन्यास में बिना किसी का सीधे नाम लिए जिक्र किया है।
उन्होंने उपन्यास में यूनिवर्सिटी सिस्टम की कार्य प्रणाली, प्रोफेसर्स द्वारा कुलपतियों की चाटुकारिता को व्यंगात्मक ढंग से सांकेतिक रूप में स्थान दिया है। यह उपन्यास चर्चा का विषय इसलिए भी तेजी से बन गया है क्योंकि सीसीएसयू की वर्तमान कुलपति भी मध्य प्रदेश के जीवाजी विश्वविद्यालय से आई हैं।