– वैवाहिक कलह और सहमति से बने संबंधों में हो रहा दुरुपयोग
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के गलत इस्तेमाल पर चिंता जताई है। अदालत ने मंगलवार को कहा कि किशोरों के बीच वैवाहिक कलह और सहमति से बने संबंधों के मामलों में पॉक्सो अधिनियम का दुरुपयोग किया जा रहा है। कोर्ट ने इसके कानूनी प्रावधानों के बारे में पुरुषों में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर जोर दिया। जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें रेप के दंडात्मक प्रावधानों और पॉक्सो एक्ट के बारे में लोगों को संवेदनशील बनाने के निर्देश देने की मांग की गई थी, ताकि महिलाओं के लिए एक बेहतर स्थान बनाया जा सके।
पीठ ने कहा, एक बात हम कहना चाहेंगे। वैवाहिक कलह और किशोरों के बीच सहमति से बने संबंधों से जुड़े मामलों में पॉक्सो अधिनियम का दुरुपयोग किया जा रहा है। हमें पुरुषों में कानूनी प्रावधानों के बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका पर सुनवाई 2 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी। कोर्ट ने कहा कि कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इस मामले में जवाब दाखिल नहीं किया है। शीर्ष अदालत ने इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद हर्षद पोंडा द्वारा दायर याचिका पर केंद्र, केंद्रीय शिक्षा और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालयों और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को नोटिस जारी किए थे।
कहा कि लोगों को बलात्कार से संबंधित कानूनों और निर्भया मामले के बाद याचिका में कई उपायों की मांग की गई है, जिसमें शिक्षा मंत्रालय को यह निर्देश देने की मांग भी शामिल है कि वह 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने वाले सभी शैक्षणिक संस्थानों से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से संबंधित दंडात्मक प्रावधानों को शामिल करने के लिए कहे। इसमें कहा गया है कि लैंगिक समानता, महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों तथा सम्मान के साथ जीने की उनकी स्वतंत्रता के बारे में जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए नैतिक प्रशिक्षण के विषय को भी शामिल किया जाना चाहिए।



