दुष्कर्म के आरोपी वकील की रिमांड याचिका खारिज
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दुष्कर्म के आरोपी वकील की रिमांड याचिका खारिज
शारदा न्यूज़, संवाददाता |
मेरठ। नाबालिग युवती के साथ दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट के आरोपी एडवोकेट रमेश चंद्र गुप्ता की रिमांड पर हुई दूसरी बहस के बाद अदालत ने याचिका खारिज कर दी। आरोपी की तरफ वरिष्ठ वकील रोहताश्व अग्रवाल ने बहस की।
अपर जिला जज पाक्सो राम किशोर पांडे की अदालत में रिमांड पर दोबारा बहस हुई।
अभियुक्त रमेश चंद गुप्ता का 14 दिन के रिमांड की याचना इस आधार पर की गयी है कि मामले में साक्ष्य संकलन की कार्यवाही शेष है। अभियुक्त का 14 दिन का रिमांड स्वीकृत किया जाये।अभियुक्त की ओर से रिमांड के विरूद्ध आपत्ति के कागजात दाखिल करते हुए न्यायिक रिमांड को निरस्त किये जाने की याचना की गयी थी। रिमांड पर अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता तथा विद्वान विशेष लोक अभियोजक को विस्तृत रूप से सुना गया एवं प्रथम सूचना रिपोर्ट केस डायरी, बयान अन्तर्गत धारा 181 दप्रस 164 दंप्रस का अवलोकन किया गया।
अभियुक्त की ओर से कहा गया है कि अभियुक्त प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामित नही है धारा 161 के बयान में अभियुक्त के विरूद्ध कोई साक्ष्य नहीं है। उक्त मुकदमा धारा 363 भादंस में दर्ज कराया गया। प्रथम रिमांड दिनांक 21.6.2023 से 04.7.2023 तक स्वीकृत कर अभियुक्त को कारागार भेजा गया है जो धारा 167 में प्रतिपादित सिद्धांतो को अनदेखा कर स्वीकार किया गया है विवेचक द्वारा आज जो प्रार्थनापत्र रिमांड हेतु प्रस्तुत किया गया है कि अब तक उनके द्वारा क्या साक्ष्य संकलित किया गया है और क्या साक्ष्य उनको संकलित करना है। विवेचक द्वारा जो साक्ष्य अब तक संकलित किया गया है, उसको न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया गया है जिस कारण रिमांड आगे स्वीकार नही किया जा सकता है।
कहा गया कि अभियुक्त को सकौती रेलवे स्टेशन फलाई ओवर के कट के पास से गिरफतार करना दर्शित किया गया है। जबकि वास्तव में अभियुक्त को दिनांक 20 / 21.6.2023 की रात्रि को देहरादून यस अडडा स्थित उत्तराखंड से गिरफतार किया गया है विवेचक द्वारा कोई गिरफतारी मीमो नहीं बनाई गयी है, न ही दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 50 का अनुपालन किया गया है। विवेचक द्वारा जिन धाराओं में रिमांड चाहा गया है, उसके सम्बंध में कोई साक्ष्य अब तक संकलित नहीं किया गया है। अतः उपरोक्त परिस्थितियों में अभियुक्त रमेश चंद गुप्ता का अग्रिम रिमांड स्वीकार नही किया जा सकता है। विवेचक द्वारा प्रस्तुत अग्रिम रिमांड प्रार्थनापत्र खारिज किये जाने योग्य है।