एजेंसी, नई दिल्ली: संसद सत्र के दौरान 29 जुलाई 2025 को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने उस समय को याद किया, जब देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हुई थी और अपनी मां के आंसूओं का जिक्र किया। प्रिंयका गांधी वाड्रा ने कहा कि मेरी मां (सोनिया गांधी) की आंखों से आंसू तब गिरे थे, जब उनके पति को आतंकवादियों ने शहीद किया, जब वह मात्र 44 साल की थी।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने आगे कहा कि आज मैं इस संसद में खड़ी हूं और बहस कर रही हूं तो सिर्फ इसलिए, क्योंकि मैं उनका दर्द जानता हूं. देश का नेतृत्व सिर्फ श्रय लेने से नहीं होता, सफलता और विफलता दोनों की जिम्मेदारी लेने से होता है. क्या लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, एनएसए की नहीं है।
‘कितने भी ऑपरेशन चला लें, सच्चाई से नहीं छिप सकते’
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, ‘आज इस सदन में बैठे ज़्यादातर लोगों के पास सुरक्षा कवच है, लेकिन उस दिन पहलगाम में 26 लोगों को उनके परिवारों के सामने मार दिया गया. उस दिन बैसरन घाटी में जितने भी लोग मौजूद थे, उनके पास कोई सुरक्षा नहीं थी. आप चाहे कितने भी ऑपरेशन चला लें, सच्चाई से नहीं छिप सकते.’
प्रतिशोध के साथ सभी की रक्षा का प्रण
प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ये सोने का ताज नहीं है, बल्कि कांटों का ताज है. जब सरकार झूठी और कायर हो तो बहादुर से बहादुर सेना को भी कमजोर कर देती है. देश को प्रतिशोध के साथ सभी की रक्षा का प्रण चाहिए, सेना की शक्ति के साथ सरकार की सच्चाई भी चाहिए.
पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का जिक्र करते हुए वाड्रा ने कहा, ‘देशभक्त शहीद इंदिरा गांधी जी, जिन्होंने सफल कूटनीति के बल पर अमेरिका के राष्ट्रपति का सामना करके पाकिस्तान का विभाजन कराया, बांग्लदेश बनाया और कई पाकिस्तानियों सैनिकों को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर किया, लेकिन उन्होंने कभी इसका श्रेय नहीं लिया.
भारत का मकसद नहीं हुआ पूरा
उन्होंने आगे कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का मकसद सिर्फ पाकिस्तान को सबक सिखाना था तो हमारा मकसद अभी अधूरा है, क्योंकि हमारी कूटनीति विफल रही है. इसका प्रमाण यही है कि एक पाकिस्तानी जनरल, जिसके हाथ खून से रंगे थे, अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ बैठकर लंच खा रहे थे.
गांधी ने कहा, ‘अगर ऑपरेशन सिंदूर का मकसद आतंकवाद को खत्म करने का था तो पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र संघ के आतंकवाद विरोधी समिति का अध्यक्ष चुने जाने से इस मकसद को धक्का लगा है. सत्तारूढ़ पार्टी ने अनेक पहलुओं पर बात की, लेकिन यह नहीं बताया कि पहलगाम आतंकी हमला क्यों हुआ, कैसे हुआ?’