Home उत्तर प्रदेश Meerut प्रत्याशी और कार्यकर्ताओं में समन्वय न होने से हुई हार

प्रत्याशी और कार्यकर्ताओं में समन्वय न होने से हुई हार

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शारदा रिपोर्टर मेरठ। लोकसभा चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश में करारी शिकस्त मिली है। बड़ी संख्या में सीट हारें है तो अधिकांश सीट ऐसी रही हैं, जहां पर जीत का मार्जिन पहले से बहुत कम रहा है। इन्हीं कारणों को जानने के लिए गोरखपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राव और सहारनपुर के विधायक राजीव गुंबर की टीम क्षेत्रीय कार्यालय पहुंची।

समीक्षा में जिलाध्यक्षों, लोकसभा प्रभारी, लोकसभा संयोजक और मंडल अध्यक्षों से बात की गई। जिसमें बताया कि कार्यकर्ता नाराज हैं, जिसका बड़ा कारण ये है कि जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के बीच समन्वय नहीं है। जिस कारण कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं होती है। इसके साथ ही जो भी सरकारी योजनाएं हैं, उसका अधिकांश लाभ जो लोग उठा रहे हैं, उन्होंने ही वोट नहीं किया है। मंडल अध्यक्षों ने तो यहां तक कहा कि विपक्षी दलों की सरकार में उनके जनप्रतिनिधियों की ही नहीं बल्कि संगठन पदाधिकारियों की बेहतर सुनवाई होती थी। लेकिन अब जनप्रतिनिधियों तक का समन्वय प्रशासन के साथ ठीक नजर नहीं आ रहा है, तो संगठन कार्यकर्ता और पदाधिकारियों की क्या बिसात।

इसके साथ भी यह भी सामने आया कि प्रत्याशी का भी कार्यकर्ताओं से समन्वय ठीक नहीं रहा। जिस कारण चार विधानसभाओं में भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। इस बैठक में जिलाध्यक्ष शिवकुमार राणा, महानगर अध्यक्ष सुरेश जैन रितराज, राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर, विधायक अमित अग्रवाल, पूर्व एमएलसी डा. सरोजनी अग्रवाल, एमएलसी धर्मेंद्र भारद्वाज, क्षेत्रीय कोषाध्यक्ष बिजेंद्र अग्रवाल आदि नेता मौजूद रहे।

मुजफ्फरनगर में संगीत और संजीव की अदावत का असर

मुजफ्फरनगर लोकसभा के लिए एमएलसी धर्मेन्द्र सिंह, आलोक गुप्ता की टीम पहुंची। इन्होंने जब मुजफ्फरनगर में मिली हार पर समीक्षा की तो जिलाध्यक्ष शिव कुमार ने बताया सरधना में भाजपा मात्र 45 वोट के अंतर से पीछे रही। मुख्य कारण कार्यकतार्ओं की नाराजगी बताई गई। डॉ. धर्मेन्द्र सिंह ने रिपोर्ट शीर्ष नेताओं को सौंपने की बात कही। मुजफ्फरनगर के भाजपा जिलाध्यक्ष सुधीर सैनी ने बताया कई बातें सामने आई है, जिसको सार्वजनिक करना उचित नहीं है। इस मामले में। पार्टी के शीर्ष नेता ही अवगत कराएंगे।

 

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