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अब शोध के लिए ‘नाबी’ जा सकेंगे शोधार्थी

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  • सीसीएसयू और नाबी के बीच हुआ एमओयू,
  • शिक्षक भी संयुक्त रूप से रिसर्च प्रोजेक्ट पर करेंगे काम,

शारदा न्यूज, रिपोर्टर |

मेरठ। चौधरी चरण सिंह विवि (सीसीएसयू) के कृषि विज्ञान एवं विज्ञान संकाय के विद्यार्थी अब शोध के लिए पंजाब के नेशनल एग्रीकल्चर फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (नाबी) जा सकेंगे। शिक्षक भी नाबी के साथ संयुक्त रूप से रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम कर सकेंगे। ऐसा सोमवार को सीसीएसयू और नाबी के बीच हुए एमओयू (समझौता पत्र) से संभव हो सका है।

पंजाब के मोहली में 18 फरवरी 2010 को नाबी की स्थापना हुई थी, जो देश के महत्वपूर्ण शोध संस्थानों में एक विशेष स्थान रखता है। यह प्रमुख रूप से खाद्य विज्ञान, कृषि विज्ञान व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट शोध कर रहा है। सोमवार को सीसीएसयू कुलपति प्रो. – संगीता शुक्ला, कुलसचिव धीरेंद्र कुमार वर्मा और नाबी के कार्यकारी निदेशक प्रो. अश्वनी पारिक, वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. जेके रॉय के बीच एमओयू हुआ।

इस दौरान शोध निदेशक प्रो. बीरपाल सिंह, कृषि संकायाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र शर्मा, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. भूपेंद्र सिंह राणा, प्रो. मृदुल कुमार गुप्ता, अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. राहुल कुमार, डॉ. धर्मेंद्र प्रताप, डॉ. सचिन सीसीएसयू और नाबी के बीच हुए एमओयू के दौरान मौजूद कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला और नाबी के कार्यकारी निदेशक प्रो. अश्विनी पारीक व अन्य उपस्थित रहे। प्रो. राहुल और प्रो. शैलेंद्र शर्मा ने संयुक्त रूप से बताया कि एमओयू के बाद अब एमएससी के विद्यार्थी और शोधार्थी पढ़ाई के लिए नाबी जा सकेंगे।

यहां छात्र-छात्राओं को अत्याधुनिक लैब के उपकरणों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण मिलेगा। शिक्षक भी नाबी के साथ मिलकर संयुक्त रूप से प्रोजेक्ट पर काम कर सकेंगे। नाबी के वैज्ञानिक सीसीएसयू विद्यार्थियों को समय-समय पर पढ़ाने के लिए आएंगे।

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