मुंबई। भारत की आइकोनिक फिल्म शोले अब उस क्लाइमैक्स के साथ देखने को मिलेगी, जिसे 50 साल पहले सेंसर बोर्ड की आपत्ति के कारण बदल दिया गया था। परिवर्तित क्लाइमैक्स में ठाकुर (संजीव कुमार) से पिटने के बाद गब्बर सिंह (अमजद खान) को पुलिस गिरफ्तार कर लेती है। मूल क्लाइमैक्स में अब ठाकुर की पिटाई से गब्बर को दम तोड़ते दिखाया जाएगा। शोले का 4के में रिस्टोर वर्जन का शुक्रवार को इटली के बोलोग्ना में सिनेमा रिट्रोवेटो फेस्टीवल में प्रीमियर होगा। फिल्म 15 अगस्त को प्रदर्शन के 50 साल पूरे करने वाली है।
शोले जब 1975 में भारत के सिनेमाघरों में पहुंची थी, इमरजेंसी के कारण सेंसर बोर्ड बेहद सख्त था। उसने फिल्म को मूल क्लाइमैक्स के साथ पास करने से इनकार कर दिया। बोर्ड का कहना था कि क्लाइमैक्स बेहद हिंसक है। चूंकि ठाकुर खुद कानून का रक्षक रह चुका है, उसके गब्बर की जान लेने से गलत संदेश जाएगा। भले वह रिटायर हो चुका हो, उसे कानून हाथ में नहीं लेना चाहिए। बोर्ड की सख्ती के कारण निर्देशक रमेश सिप्पी को क्लाइमैक्स दोबारा शूट करना पड़ा था।
सेंसर बोर्ड ने कुछ दूसरे सीन भी फिल्म से हटवा दिए थे। इनमें वह सीन शामिल था, जिसमें रामलाल (सत्येन कप्पू) को ठाकुर के जूतों में कीलें ठोकते दिखाया गया था। शोले के रिस्टोर वर्जन में हटाए गए सीन भी जोड़े गए हैं, जो करीब छह मिनट के हैं। इससे फिल्म अब 3.30 घंटे की हो गई है। रमेश सिप्पी के भतीजे शहजाद सिप्पी का कहना है कि जोड़े गए दृश्यों पर हम सस्पेंस रखना चाहते हैं। फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन को शोले का 4के वर्जन तैयार करने में करीब तीन साल लगे। इसे सिनेमाघरों में रिलीज करने के बारे में फिलहाल फैसला नहीं किया गया है। 4के रिजॉल्यूशन में पिक्सल होते हैं। इसे अल्ट्रा हाई डेफिनिशन भी कहा जाता है। इसमें फुल एचडी से चार गुना ज्यादा पिक्सल होने से तस्वीरें स्पष्ट और बहुआयामी होती हैं।