- जिम्बाबे के खिलाफ कपिल देव की रिकॉर्ड पारी,
- फाइनल में 183 रन बनाने के बाद भी जीता,
- मोहिंदर अमरनाथ थे फाइनल के मैन ऑफ द मैच।

इंग्लैंड में हुए तीसरे क्रिकेट वर्ल्ड कप में टीम इंडिया ने विश्व विजेता बन कर करोड़ो देशवासियों को भविष्य में और सपने देखने के लिए मजबूर कर दिया था।

1983 में हुए वर्ल्ड कप में फाइनल में वेस्ट इंडीज को हरा कर भारत ने वेस्टइंडीज के लगातार तीसरी बार खिताब जीतने से वंचित कर दिया। इस वर्ल्ड कप में टीम इंडिया के कप्तान कपिल देव एक बड़ी ताकत बन कर उभरे। उनकी जिम्बाबे के खिलाफ 175 रन की पारी विश्व क्रिकेट की महानतम पारी ने वर्ल्ड कप जीतने में अहम भूमिका अदा की।
तीसरा कप जीतना चाह रहा था वेस्ट इंडीज
पहले ही दो खिताब पर कब्जा कर चुकी वेस्टइंडीज टीम की नजर तीसरे कप पर थी। दबाव में लाने के लिए क्लाइब लायड ने टास जीतकर युवा भारतीय टीम को बल्लेबाजी सौंपी। टीम इंडिया की शुरुआत अच्छी नहीं रही और गावस्कर केवल 2 रन बनाकर आउट हो गए। हालांकि मोहिंदर अमरनाथ के साथ मिलकर श्रीकांत ने 57 रनों की साझेदारी कर टीम की वापसी करानी चाही।
लेकिन उसके बाद लगातार अंतराल पर विकेट गिरते चले गए। यशपाल शर्मा 11, सैयद किरमानी 14, बलविंदर संधू 11, मोहिंदर अमरनाथ के 26 और कपिल देव के 15 रनों के दम पर भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज के सामने 183 रन बनाए। भारत की तरफ से सर्वाधिक रन श्रीकांत ने बनाए उन्होंने 38 रनों की पारी खेली।
वेस्टइंडीज की पारी
वेस्टइंडीज के लिए यह लक्ष्य बड़ा नहीं था लेकिन भारतीय गेंदबाज खासतौर से मोहिंदर अमरनाथ कुछ और ही सोचकर आए थे। हालांकि इसकी शुरुआत की बलविंदर संधू ने जिन्होंने वेस्टइंडीज को 5 रन के स्कोर पर पहला झटका देकर भारत की उम्मीद को जगाया। उन्होंने गार्डन ग्रीनिज को 1 रन के व्यक्तिगत स्कोर पर क्लीन बोल्ड कर दिया।
लेकिन मैच का टर्निंग प्वाइंट आया तब जब मदन लाल की गेंद पर कपिल देव ने पीछे भागते हुए द ग्रेट विवियन रिचर्ड्स का कैच पकड़ा और भारत की जीत की उम्मीदों को पंख लग गए। रिचर्ड्स ने 28 गेंदों पर 33 रनों की पारी खेली। उसके बाद वेस्टइंडीज ने लगातार अंतराल पर विकेट गंवाया और जैसे ही माइकल होल्डिंग को मोहिंदर अमरनाथ ने एलबीडब्ल्यू आउट किया पूरा देश खुशी से झूम उठा। भारत ने 43 रनों से मैच जीतकर लार्ड्स के मैदान पर इतिहास रच दिया था।
मोहिंदर अमरनाथ बने थे प्लेयर आफ द मैच
इस ऐतिहासिक मैच में भारत के आलराउंडर मोहिंदर अमरनाथ “प्लेयर आफ द मैच” चुने गए। उन्होंने पहले बल्लेबाजी में 26 रन और फिर गेंदबाजी में 12 रन देकर 3 विकेट लेकर भारत की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1983 में कपिल देव की कप्तानी में टीम इंडिया ने वेस्टइंडीज को हराकर खिताब अपने नाम किया था। उस विश्व कप में मिली हार को वेस्टइंडीज के महान तेज गेंदबाज एंडी रॉबर्ट्स अब तक नहीं भूल पाए हैं। उनका मानना है कि भारत किस्मत से चैंपियन बना था। रॉबर्ट्स को आधुनिक वेस्टइंडीज की तेज गेंदबाजी का जनक माना जाता है।
वनडे में पहले बल्लेबाजी करते हुए महज 183 रन का स्कोर बना पाने के बाद शायद ही कोई टीम मैच जीतने का सोच सकती है। फिर अगर आपका मुकाबला दो बार की वर्ल्ड चैंपियन और एक से बढ़कर एक दिग्गज खिलाड़ियों से भरी टीम से हो तो फिर यह नामूमकिन ही हो जाता है। लेकिन आज से ठीक 39 साल पहले यानी 25 जून 1983 को क्रिकेट की दुनिया में लॉर्ड्स के मैदान पर यह एतिहासिक घटना हुई थी। भारतीय टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए महज 183 रन बना पाई थी लेकिन उसने स्टार खिलाड़ियों से सजी वेस्टइंडीज टीम को महज 140 रन पर ऑलआउट कर दिया था।
वेस्टइंडीज को हराकर शुरुआत
भारत ने अपने पहले ही मुकाबले में वेस्टइंडीज को हरा दिया था। मैनचेस्टर में खेले गए मुकाबले में टीम इंडिया ने यशपाल शर्मा की 89 रनों की पारी की मदद से 262 रन बनाए। तब वनडे मुकाबले 60 ओवर के होते थे। रोजर बिन्नी और रवि शास्त्री ने 3-3 विकेट लेकर भारत को 34 रनों से जीत दिला दी।
जिम्बाब्वे पर मिली 5 विकेट से जीत
भारत ने इसके बाद जिम्बाब्वे को 5 विकेट से हराया। इस मैच में पहले खेलते हुए जिम्बाब्वे ने 155 रन बनाए। मदन लाल को तीन विकेट मिले। भारत ने 5 विकेट खोकर लक्ष्य हासिल कर लिया। संदीप पाटिल ने अर्धशतकीय पारी खेली।
लगातार दो मैचों में हार मिली
भारत को इसके बाद लगातार दो मैचों में हार मिली। ऑस्ट्रेलिया ने 162 रनों के बड़े अंतर से हराया। फिर वेस्टइंडीज के खिलाफ 66 रनों की हार मिली। ऑस्ट्रेलिया वाले मुकाबले में ट्रेवर चैपल ने 110 और वेस्टइंडीज वाले मुकाबले में विव रिचर्ड्स ने 119 रनों की पारी खेली।
कपिल देव की पारी से जिम्बाब्वे से जीते
जिम्बाब्वे के खिलाफ मुकाबले में भारतीय टीम ने 17 रन पर 5 विकेट खो दिए थे। इसके बाद कपिल देव ने ऐतिहासिक 175 रनों की पारी खेली। यह वनडे में किसी भी भारतीय बल्लेबाज का पहला शतक था। इस शतक ने भारत को 266 रनों तक पहुंचा दिया। जिम्बाब्वे की पारी 235 रनों पर ही सिमट गई।
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