गुरमीत राम रहीम फिर आया 21 दिन के लिये जेल से बाहर

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  • बलात्कार के मामले में 20 साल की कैद की सजा काट रहा है राम रहीम।

Gurmeet Ram Rahim: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिरसा स्थित अपने आश्रम में दो महिला अनुयायियों से बलात्कार के मामले में 20 साल की कैद की सजा काट रहा है। राम रहीम को पंचकूला की एक विशेष सीबीआई अदालत ने अगस्त 2017 में दोषी करार दिया था।

राम रहीम को एक बार फिर फरलो मिल गई है। राम रहीम को 21 दिन की फरलो मिली है, जिसके बाद वह मंगलवार को सुनारिया जेल से बाहर आ गया। हरियाणा की सुनारिया जेल से राम रहीम को मंगलवार सुबह लगभग 6.30 बजे पुलिस सुरक्षा में रिहा किया गया। वह फरलो की अवधि उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में बरनावा आश्रम में बिताएगा।

डेरा प्रमुख ने जून 2024 में की थी फरलो की मांग

दोषी गुरमीत राम रहीम सिंह ने जून 2024 में एक बार फिर फरलो की मांग की थी। राम रहीम ने 21 दिन की फरलो के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इससे पहले फरवरी में हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से कहा था कि वह डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को उसकी अनुमति के बिना आगे पैरोल न दे। उस समय हाईकोर्ट शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को अस्थायी रिहाई।

राम रहीम को कब-कब मिली फरलो और पैरोल?

24 अक्टूबर 2020: राम रहीम को पहली बार अस्पताल में भर्ती मां से मिलने के लिए एक दिन की पैरोल मिली।

21 मई 2021: मां से मिलने के लिए दूसरी बार 12 घंटे की पैरोल दी गई।

7 फरवरी 2022: परिवार से मिलने के लिए डेरा प्रमुख को 21 दिन की फरलो मिली।

जून 2022: 30 दिन की पैरोल मिली. यूपी के बागपत आश्रम भेजा गया।

14 अक्टूबर 2022: राम रहीम को 40 दिन की लिए पैरोल दी गई। वो बागपत आश्रम में रहा और इस दौरान म्यूजिक वीडियो भी जारी किए।

21 जनवरी 2023: छठीं बार 40 दिन की पैरोल मिली। वो शाह सतनाम सिंह की जयंती में शामिल होने के जेल से बाहर आया।

20 जुलाई 2023: सातवीं बार 30 दिन की पैरोल पर जेल से बाहर आया।

21 नवंबर 2023: राम रहीम को 21 दिन की फरलो लेकर बागपत आश्रम गया।

क्या होती है फरलो?

फरलो एक तरह से छुट्टी की तरह होती है, जिसमें कैदी को कुछ दिन के लिए रिहा किया जाता है। फरलो की अवधि को कैदी की सजा में छूट और उसके अधिकार के तौर पर देखा जाता है। यह सिर्फ सजा पा चुके कैदी को ही मिलती है। यह आमतौर पर उस कैदी को मिलती है जिसे लंबे वक्त के लिए सजा मिली हो।

इसका मकसद होता है कि कैदी अपने परिवार और समाज के लोगों से मिल सके। इसे बिना कारण के भी दिया जा सकता है। चूंकि जेल राज्य का विषय है, इसलिए हर राज्य में फरलो को लेकर अलग-अलग नियम है। उत्तर प्रदेश में फरलो देने का प्रावधान नहीं है।

फरलो और पैरोल में क्या है अंतर?

फरलो और पैरोल दोनों अलग-अलग बातें हैं। प्रिजन एक्ट 1894 में इन दोनों का जिक्र है फरलो सिर्फ सजा पा चुके कैदी को ही मिलती है। जबकि पैरोल पर किसी भी कैदी को थोड़े दिन के रिहा किया जा सकता है। इसके अलावा फरलो देने के लिए किसी कारण की जरूरत नहीं होती। लेकिन पैरोल के लिए कोई कारण होना जरूरी है। परोल तभी मिलती है जब कैदी के परिवार में किसी की मौत हो जाए, ब्लड रिलेशन में किसी की शादी हो या कुछ और जरूरी कारण। किसी कैदी को पैरोल देने से इनकार भी किया जा सकता है। पैरोल देने वाला अधिकारी ये कहकर मना कर सकता है कि कैदी को छोड़ना समाज के हित में नहीं है।

इस मामले में सजा काट रहा है राम रहीम?

राम रहीम सिरसा स्थित अपने आश्रम में दो महिला अनुयायियों से बलात्कार के मामले में 20 साल की कैद की सजा काट रहा है। राम रहीम को पंचकूला की एक विशेष सीबीआई अदालत ने अगस्त 2017 में दोषी करार दिया था। इसके अलावा गुरमीत राम रहीम को पूर्व डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के मामले में भी कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

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