- आरएसएस प्रमुख भागवत के बयान पर संत समाज नाराज।
एजेंसी, नई दिल्ली। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर देशभर के साधु संत भड़क गये हैं। सोशल मीडिया पर भी तमाम लोग तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा है कि पहले संघ परिवार के लोग जागो हिंदू जागो का आह्वान करते हैं, अब जब हिंदू जाग गया है तो कह रहे हैं कि सो जाओ। वहीं साधु संतों के बयानों की बात करें तो एक बात स्पष्ट तौर पर दिख रही है कि संत समाज यह स्पष्ट संकेत दे रहा है कि वह आरएसएस के अधीन नहीं बल्कि स्वतंत्र है और धर्म से जुड़े मामलों में उसका निर्णय ही सर्वोपरि होगा। यही नहीं, अक्सर देखने में आता है कि विभिन्न मुद्दों को लेकर संत समाज के विचार भी अलग अलग होते हैं लेकिन मोहन भागवत के बयान का विरोध पूरे संत समाज की ओर से एकजुटता के साथ किया जा रहा है।
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने भी मोहन भागवत के बयान पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा है कि नेताओं को अपने दायरे में रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि मंदिर-मस्जिद का मुद्दा धार्मिक है और इसका फैसला ‘धमार्चार्यों’ पर छोड़ देना चाहिए। उन्होंने आरएसएस को सांस्कृतिक संगठन करार देते हुए साफ तौर पर कहा कि इस मुद्दे को धमार्चार्यों पर छोड़ देना चाहिए। मीडिया से बातचीत में स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि जब धर्म का विषय उठेगा तो उसे धमार्चार्य तय करेंगे।
उन्होंने कहा कि जब धमार्चार्य कोई चीज तय करेंगे तो उसे संघ भी स्वीकार करेगा और विश्व हिंदू परिषद भी। उन्होंने यह भी कहा कि मोहन भागवत पहले भी ऐसा बयान दे चुके हैं और उनके बयान के बाद 56 नए स्थानों पर मंदिर पाए गए हैं, जो दशार्ते हैं कि मंदिर-मस्जिद मुद्दों में कार्रवाई जरूरी है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में एक संबोधन के दौरान कहा था कि हर जगह मंदिर ढूँढ़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती। मोहन भागवत के बयान का विपक्षी दलों सहित समाज के एक बड़े वर्ग ने स्वागत किया था लेकिन संत समाज इस बयान से काफी नाराज बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि प्रयागराज में होने वाले महाकुम्भ में भी संतों के बीच इस विषय पर चर्चा हो सकती है।