Home उत्तर प्रदेश Meerut सवर्ण, दलित ना मुसलमान, अति पिछड़ों के हाथ जीत की कमान !

सवर्ण, दलित ना मुसलमान, अति पिछड़ों के हाथ जीत की कमान !

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– मेरठ सीट पर अति पिछड़ों की वोट ही करेगी हार जीत का निर्णय
– सभी पार्टियों के मूल वोट बैंक में हो रहा है बंटवारा


अनुज मित्तल समाचार संपादक

मेरठ। इस बार लोकसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दलों की हार जीत का फैसला उनके मूल वोट बैंक से नहीं बल्कि अति पिछड़ों की वोट से होगा। क्योकि अब तक जो आसान नजर आ रही है। सभी के मूल वोट बैंक में जमकर सेंधमारी हो रही है। ऐसे में अति पिछड़ा वर्ग ही इस बार प्रमुख तारणहार बनेगा।

भाजपा का मूल वोट बैंक वैश्य, त्यागी, ब्राह्मण, पंजाबी और क्षत्रिय माना जाता है। पिछड़ा वर्ग में जाट और गुर्जर अपनी बिरादरी और समय-समय पर अपनी चार बदलते रहे हैं। इस बार भाजपा अपने मूल वोट बैंक में थोड़ा फंस गई है, क्योंकि त्यागी और क्षत्रिय समाज उससे कहीं न कहीं नाराज नजर आ रहा है। ऐसे में उसे इसकी भरपाई के लिए अति पिछड़ों की वोटों का ही सहारा बचा है।

समाजवादी पार्टी की अगर बात करें तो उसका मूल वोट बैंक मुस्लिम और यादव है। मेरठ सीट पर यादव वोट बहुत कम हैं, तो सिर्फ मुस्लिम ही उसका सहारा है। लेकिन बसपा प्रत्याशी के पक्ष में आज हुई रैली में मुस्लिम की संख्या देख यह तय हो चला है कि मुस्लिम वोट में कुछ बंटवारा तय है। ऐसे में सपा प्रत्याशी की दलित वोटों में सेंधमारी के बाद भी उसे भी अति पिछड़ों का ही सहारा बचा है, जो उसकी चुनावी नाव को मझधार से बाहर निकाल सके।

बहुजन समाज पार्टी के पास दलित वोट बैंक है, लेकिन सपा प्रत्याशी के दलित होने से इसमें बंटवारा तय है। ऐसे में बंटे हुए दलित और कुछ मुस्लिम तथा त्यागी वोटों के साथ बसपा प्रत्याशी अपने चुनावी सफर को जीत के अंजाम तक नहीं पहुंचा सकते हैं। ऐसे में उनके सामने भी अति पिछड़ा वर्ग का वोट ही जीत का आधार बनेगा।

भाजपा की जीत में रहा है साथ

भाजपा 2014 से लेकर अब तक विधानसभा या लोकसभा का जो भी चुनाव जीती है। उसमें अति पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का मुख्य साथ रहा है। कुछ क्षेत्र तो ऐसे हैं, जहां पर इनका वोट बहुत ही निर्णायक स्थिति में है।

लेकिन इस बार है बंटवारा

2022 के विधानसभा चुनाव तक साथ रहती आयी ये अति पिछड़ा वर्ग की जातियां, अब भाजपा से थोड़ा छिटकी हुई हैं। खतौली विधानसभा उपचुनाव में भी सैनी बिरादरी का पूरा समर्थन भाजपा को नहीं मिला था। इस बार तो बसपा और सपा दोनों ने ही अति पिछड़ा कार्ड खेलते हुए लोकसभा में प्रत्याशी मैदान में उताकर भाजपा के सामने विकट स्थिति पैदा कर दी है।

ये हैं अति पिछड़ा वर्ग की जातियां

कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, सैनी, पाल, गडरिया, धीवर, बिंद, राजभर, धीमान, बाथम, तुरहा, गोड़िया, भर, मांझी और मछुआ ऐसी 17 अति पिछड़ी जातियां हैं।

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