- हवा में घुली जहरीली हवा कर ना दे आपकी सेहत को खराब,
- मेरठ का एक्यूआई स्तर अभी भी तीन सौ से ऊपर, जयभीमनगर सबसे ज्यादा प्रदूषित।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का असर अब आमजनता पर दिखने लगा है। जहरीली हवा से लोगों के प्राण संकट में हैं, और ऐसे में अगर परिस्थितियों पर काबू नहीं पाया गया तो परिणाम बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं। दिल्ली की स्थिति गंभीर है और मेरठ भी उसी रास्ते पर आकर खड़ा हो गया है। यदि समय से नहीं चेते, तो एक बार फिर
देशवासी सांसों के संकट से जूझते नजर आएंगे।
हर रोज दर्जनों सिगरेट के बराबर धुआं पी रहे लोग: धूम्रपान करने वाले 100 में 60 लोगों को सीओपीडी (क्रॉनिक आॅब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज) हो रही है। प्रदूषण सीओपीडी के मरीजों की जान के जोखिम को और बढ़ा देता है। इन दिनों प्रदूषण का स्तर (एक्यूआई) 350 के आसपास है, जो 15-20 सिगरेट पीने के बराबर है। विशेषज्ञ चिकित्सक सिगरेट पीने वाले व्यक्ति की जिंदगी हर रोज छह मिनट तक कम होने का दावा करते हैं। लेकिन देखने वाली बात यह है कि, सबकुछ जानते हुए भी लोग बढ़ते प्रदूषण को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। जबकि, जगह जगह कूड़ा जलने, डग्गामार वाहनों और अवैध फेक्ट्रियों से निकलते वाले जहरीले धुंए से लगातार समस्या बढ़ती जा रही है। बावजूद इसके संबंधित विभाग और शहरवासी इस बात को अंदेखा करते हुए भविष्य की चिंता छोड़कर अपनी मस्ती में डूबे हुए हैं।
महिलाओं में भी बढ़ रही बीमारी: सांस फूलने, गले में खराश और सिर में दर्द पिछले कुछ सालों से महिलाओं में यह बीमारी बढ़ी है, क्योंकि महिलाएं भी काफी धूम्रपान करने लगी हैं। साथ ही प्रदूषण इसे और बढ़ा रहा है। दमा आनुवांशिक होता है और धूम्रपान-प्रदूषण से बढ़ता है, जबकि, सीओपीडी आनुवांशिक नहीं होता। यह प्रदूषण और धूम्रपान से फैलता है। इन्हेलर इस्तेमाल से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। निमोनिया की वैक्सीन भी लगवा सकते हैं।