- आयुक्त ने अपर आयुक्त को सौंपी जांच।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। महानगर के 17 वार्डों में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के टेंडर की शर्तों में अनियमितता का आरोप लगाकर विपक्ष के पार्षदों ने मंडलायुक्त को शिकायती पत्र सौंपा। आरोप है कि एक कंपनी से साठगांठ करके ठेका देने की निगम ने योजना बनाई है। मंडलायुक्त ने इस मामले में अपर आयुक्त को जांच सौंप दी है।
नगर निगम में 73 वार्डों में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का अनुबंध बीवीजी कंपनी को दिया हुआ है। उक्त कंपनी द्वारा अनुबंध की शर्तों का पालन नहीं हो रहा है। जिसके चलते नगर आयुक्त ने एक बार अनुबंध निलंबित कर दिया था। शहर के 17 वाडों में निगम खुद कूड़ा उठाता है। अब उसका अनुबंध करने के लिए नगर निगम ने टेंडर निकाला है।
सपा पार्षद कीर्ति घोपला, भूपेंद्र पाल, शाहिद एडवोकेट, प्रशांत कसाना, रूबीना और आशीष चौधरी ने बताया कि 17 वार्डों में कूड़ा उठाने का टेंडर की शर्त में नगर निगम द्वारा जारी प्रमाणपत्र की अनिवार्यता, सीएनजी के वाहन की जगह जानबूझकर इलेक्ट्रिक वाहन के प्रयोग की शर्त निविदा में रखी गई है। जिनमे निम्न बिन्दु विभिन्न निविदा फर्मों को एक समान प्रदान न करने व नगर निगम को आर्थिक क्षति पहुंचा सकते है।
निविदा में संयुक्त उद्यम को निविदा में प्रतिभाग करने से मना किया गया है। जबकि नगर निगम को आर्थिक बिन्दुओं पर अधिक ध्यान देना चाहिए था। नगर निगम को न्यूनतम धनराशि व्यय करना पड़े। उन्होंने कहा कि, नगर निगम द्वारा यह शर्त कहीं किसी निश्चित फर्म को अनुग्रह देने के लिए तो नहीं डाली गयी है। इसकी भी जांच कराई जाए। चूंकि, कंकरखेडा जोन के 17 वार्डों का डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन यूजर चार्ज कलेक्शन नगर निगम के ही कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा था, निविदा के पश्चात ठेका फर्म द्वारा कार्य किये जाने के फलस्वरूप नगर निगम के कर्मचारी क्या कार्य करेंगे। उन पर व्यय को जाने वाली धनराशि की क्या उपयोगिता बचेगी।
निविदा में फर्म द्वारा इलेक्ट्रीक व्हीकल के शर्त डालकर किसी विशेष फर्म के पक्ष में निविदा आवंटित करने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा है, क्योंकि सीएनजी आधारित वाहन भी प्रदूषण मुक्त वाहन माने जाते है। ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने यह भी कहा कि, निविदा की शर्तों में निविदाकर्ता के लिए टर्न ओवर की जो धनराशि निर्धारित की गयी है वह अधिक है, इस धनराशि का मानक पूर्ण करने में स्थानीय फर्म प्रतिभाग नहीं कर सकेंगी। जबकि, टेंडर दस्तावेज में शर्त प्रमाणपत्रों की अनिवार्यता रखी है, जो अप्रूव्ड निकायों द्वारा जारी किए गए और ठेकेदार द्वारा अपलोड किए जाने चाहिए।
आरोप है कि प्रदेश में 17 नगर निकाय हैं, लेकिन किसी में भी इस तरह का अनुबंध लागू नहीं किया गया है। ऐसे में साफ है कि इस नये टेंडर में जो शर्तें लागू की गई हैं, वह किसी विशेष फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए लगाई गई हैं।