– जन्मदिन पर मायावती के ऐलान से भाजपा को मिला सुकून – अकेले चुनाव लड़ने के ऐलान से विपक्षी की रणनीति को लगा झटका – विपक्षी दलों के साथ ही भाजपा पर भी साधा निशाना
अनुज मित्तल (समाचार संपादक)
मेरठ। बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने जन्मदिन के मौके पर अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर सभी को हैरान कर दिया। क्योंकि उम्मीद की जा रही थी कि बसपा इस चुनाव में गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर सकती हैं। लेकिन अकेले चुनाव लड़ने के ऐलान ने जहां विपक्षी रणनीति को झटका दिया है, वहीं भाजपा ोमे को सुकून मिलता नजर आ रहा है।
तमाम राजनीतिक विश्लेषक अनुमान लगा रहे थे कि लोकसभा चुनाव में बसपा गठबंधन के साथ जाएगी और भाजपा को झटका देगी। भाजपा भी बसपा के कदम पर गहनता से नजर रख रही थी। लेकिन जन्मदिन के खास मौके पर मायावती ने अपने संबोधन में भाजपा सहित सभी विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधते हुए सभी की सोच को संविधान विरोधी सोच का बता दिया।
फिर उगला सपा के प्रति जहर
मायावती ने सपा मुखिया अखिलेश यादव पर एक बार फिर से निशाना साधते हुए कहा कि सपा मुखिया लगातार बसपा कार्यकर्ताओं को झूठी बयान बाजी कर बरगलाने का काम कर रहे हैं। उनके राजनीति से सन्यास तक लेने की बात सपा की तरफ से कही गई है।
ईवीएम पर उठाया सवाल, भाजपा पर साधा निशाना
मायावती ने भाजपा को भी नहीं छोड़ा। उन्होंने ईवीएम के जरिए धांधली होने की बात फिर से दोहराते हुए कहा कि इसमें सच्चाई नजर आती है। ऐसे में हो सकता है कि जल्दी ही ईवीएम से चुनाव बंद कराते हुए फिर से बैलेट पेपर से चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाए।
बसपा को साथ लाने के लिए विपक्ष लगा रहा था जोर
भाजपा और विपक्ष सभी बसपा के कदम पर नजर रख रहे थे। भाजपा जहां बसपा के अकेले चुनाव लड़ने की कामना कर रही थी, वहीं विपक्ष गठबंधन बसपा को अपने साथ लाने के लिए एड़ीचोटी का जोर लगा रहा था। हालांकि इस बीच में कई बार सपा मुखिया अखिलेश यादव की बयानबाजी से मायावती नाराज हुई।
सपा के रूख ने बिगाड़ दी विपक्ष की रणनीति
आईएनडीआईए गठबंधन से बसपा ही बाहर है। जबकि अन्य दल साथ हैं। यूपी में बसपा का गठबंधन के साथ रहना बेहद जरूरी था। क्योंकि बसपा ही ऐसी पार्टी है, जो यूपी में विपक्षी गठबंधन के साथ मिलकर भाजपा का खेल बिगाड़ सकती थी। लेकिन सपा नेताओं की लगातार बयानबाजी से नाराज मायावती जो अब तक गठबंधन में जाने का इशारा कर रही थी, अचानक से अपना रूख बदल दिया। उन्होंने आज ऐलान कर दिया कि वह लोकसभा चुनाव अकेले ही लड़ेंगी। ऐसे में विपक्ष की रणनीति गड़बड़ा गई है तो भाजपा की रणनीति कामयाब होती नजर आ रही है।
अभी भी है उम्मीद
हालांकि राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि बसपा के अकेले दम पर चुनाव लड़ने से विपक्ष का तो घाटा होगा ही, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान खुद बसपा का होगा। क्योंकि बसपा का जनाधार लगातार कम हो रहा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा का मात्र एक विधायक निर्वाचित होकर आया है। ऐसे में अभी भी उम्मीद है कि कांग्रेस सहित अन्य दल मिलकर कहीं न कहीं बीच का रास्ता निकालकर बसपा को चुनाव से पहले अपने साथ ले आएंगे।