बृहस्पतिवार को देर्वोत्थान एकादशी, मांगलिक कार्यक्रम होंगे शुरू।
शारदा न्यूज, संवाददाता |
मेरठ। देवोत्थान एकादशी पर 148 दिन बाद योग निद्रा से श्रीहरि विष्णु जाग जाएंगे। इसके साथ ही एक बार फिर भगवान सृष्टि का कामकाज संभालेंगे और मांगलिक कार्यक्रमों का श्रीगणेश होगा। हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
इस बार यह शुभ दिन 23 नवंबर (बृहस्पतिवार) को है। प्रत्येक वर्ष में चौबीस एकादशी होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। आषाढ़ शुक्ल की एकादशी को देव शयन के बाद से प्रारंभ चातुर्मास का समापन कार्तिक शुक्ल एकादशी या देवोत्थान एकादशी पर होता है। चातुर्मास में भगवान विष्णु के आराम के पश्चात उनका शयनकाल पूरा होता है। इंडियन काउंसिल आॅफ एस्ट्रोॉजिकल साइंस के सचिव आचार्य कौशल वत्स ने बताया कि ‘ इस दिन श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ व्रत करते हैं।
देवी-देवता भी करते हैं व्रत इस दिन मनुष्य ही नहीं बल्कि देवी-देवता भी व्रत करते हैं। इसके साथ ही सभी मंगल कार्य शुरू हो जाते हैं। इस दिन की स्वामिनी विष्णु प्रिया देवी लक्ष्मी हैं। लोग शुभ समारोहों के लिए इस तिथि की प्रतीक्षा करते हैं।
भगवान शिव ने नारद जी को बताया व्रत का महत्व पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधि आदि ने भी यह व्रत किया। उन्हें पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ। भगवान शिव ने नारद जी से इस व्रत के महत्व को बताते हुए कहा कि जो व्यक्ति लगातार एकादशी का व्रत क्ररता है। उसके सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। धन-धान्य, पुत्र आदि की वृद्धि होती है। इस दिन घरों के बाहर और पूजा स्थल पर दीपक जलाने चाहिए।