लेह। लेह के निवासियों ने इससे पहले इस तरह के हालात नहीं देखे थे। गत बुधवार को हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद यहां कर्फ्यू दिया गया था। हर कोने पर नाका है। सड़कों पर सन्नाटा और कंटीले तार लगे हैं। बीच-बीच में एंबुलेंस का सायरन गूंज रहा था।
अच्छी बात यह थी कि इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई है। युवा सोशल मीडिया पर सक्रिय रहे। हर जुबां पर हिंसक प्रदर्शन का ही जिक्र था।कर्फ्यू की वजह से लोगों को अस्पताल तक पहुंचने में बेहद दिक्कत हुई। जगह-जगह पुलिस और सीआरपीएफ तैनात थी। सड़क पर निकलने वालों को रोक-रोककर सख्ती से पूछताछ की जा रही थी। केवल आवश्यक सेवाओं को कर्फ्यू से मुक्त रखा गया था। सड़कों पर गाड़ियां बेहद कम निकलीं। वे भी पुलिस की पूछताछ से जगह-जगह रुककर ही आगे बढ़ पा रहे थे। घरों में भी लोगों के बीच चर्चा लद्दाख के मुद्दों पर ही केंद्रित रही। आॅल इंडिया लद्दाख स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष स्टेंजिन का कहना है कि जम्मू से भी बहुत से युवाओं के कॉल उनके पास आए। वे लद्दाख के वास्तविक हालात जानना चाहते थे। लद्दाख में जो प्रदर्शन हुआ उसकी जड़ में सबसे बड़ा मसला रोजगार था।
युवा वर्तमान स्थिति से बेहद निराश थे और उन्हें इस निराशा से निकलने का कोई ठोस रास्ता नजर नहीं आ रहा था। युवाओं के बीच सोशल मीडिया पर भी प्रदर्शन को लेकर ही बहस चलती रही। उन्होंने कुछ लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद पर निशाना साध रहे थे तो कुछ लद्दाख प्रशासन पर। अलबत्ता, केंद्रीय गृह मंत्रालय से बैठक पर भी उनकी निगाहें लगी हैं। मारे गए युवाओं के प्रति भी उनकी सहानुभूति खुलकर नजर आई।



