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Wednesday, December 24, 2025
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HomeEducation Newsभारत मानवीय गरिमा व समानता का जनक

भारत मानवीय गरिमा व समानता का जनक

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– मानव अधिकार और भारतीय ज्ञान प्रणाली आधुनिक पर सेमिनार।

शारदा एक्सप्रेस मेरठ। विधि अध्ययन संस्थान चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मेरठ के संयुक्त तत्वाधान में संस्थान के सेमिनार हाल में अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के उपलक्ष्य में मानव अधिकार और भारतीय ज्ञान प्रणाली आधुनिक संदर्भ में अंर्तदृष्टि विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया।

 

 

कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा निदेशक-अकादमिक,रमेश कुश्वाहा सचिव डीएलएसए, प्रोफेसर केके शर्मा विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग डाक्टर विवेक कुमार समन्वयक विधि अध्ययन संस्थान आशीष कौशिक सहायक आचार्य व डाक्टर अपेक्षा चौधरी सहायक आचार्य द्वारा मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्जवलन कर किया गया।

कार्यक्रम में डाक्टर अपेक्षा चौधरी द्वारा स्वागत भाषण दिया गया जिसमें उन्होंने मानव अधिकार और भारतीय ज्ञान परंपरा में परस्पर समानताओं पर प्रकाश डाला। इसके पश्चात कार्यक्रम संयोजका आशीष कौशिक ने अपने भाषण में कहा की भारत मानवीय गरिमा व समानता का जनक है। उन्होंने कहा की भारतीय विद्वत्ता पूर्ण ग्रंथ जैसे वेद अगामस उपनिषद श्रुति स्मृति आदि में हाल ही में उत्पत्ति मानव अधिकार जैसा कोई शब्द नहीं है परन्तु जब मानव अधिकार के मूल अवधारणा में मानवीय गरिमा और समानता है जिसका उदाहरण हमें निम्नलिखित ग्रंथों में मिलता है।

भारतीय परंपरा धर्म व सदाचार पर जोर देती है। भारतीय समाज में कर्तव्यों का पालन करना ही अधिकारो की सुनिश्चिता तय करता है। संस्थान के समन्वयक विवेक कुमार ने कहा की भारत की प्राचीन परंपरा सर्वे स्व स्व ग्रह राजा के अनुसार राजा भी बिना अनुमति के किसी के घर में जाने का अधिकार नहीं रखता है।

कार्यक्रम में रमेश कुश्वाहा सचिव डीएलएसए ने कहा की अधिकारों और कर्तव्यों को समान महत्व देना चाहिये हमारे समाज में फैली हुई कुरीतियों रूढीवादी विचारो को त्याग कर समय के परिवर्तन अनुसार उचित और आवश्यक कर्तव्यों का पालन करें और उन्होंने यूडीएचआर के परिपेक्ष्य को वर्णित करते हुये समाज से भ्रष्टाचार उन्मूलन और कुरीतियों को दूर कर ही मानव अधिकारों की स्थापना का आह्वान किया।

प्रोफेसर केके शर्मा विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग ने सेमिनार में अपने विचार रखते हुये कहा की अधिकार जैसा शब्द हमारे ग्रंथों मं नही मिलता क्योंकि यह आधुनिक युग से सम्बंधित है। प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा निदेशक ने कहा की संसार में भारत ही सबसे पुरानी संस्कृति और परंपरा है इसके महत्व को बताते हुये उन्होंने बताया की आज के युग में गीता का उपदेश किस नक्षत्र में हुआ इस पर शोध चल रहा है। भारत एक समृद्व समाज था और यहां पर किसी भी प्रकार से अहिंसा और क्रूरता की जगह नहीं थी। यहा पर शस्त्र नहीं शास्त्रार्थ की परंपरा थी।

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