Sunday, June 1, 2025
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सहारनपुर में आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त करेगी आईबी

  • इंटेलिजेंस ब्यूरों का साढ़े चार बीघा में बनेगा कार्यालय,
  • आवास विकास ने जमीन की ट्रांसफर

सहारनपुर। आईबी का स्थायी ठिकाना बनेगा। उम्मीद की जा रही है कि यहां से आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त करने की दिशा में निर्णायक कार्य होगा। साथ ही, खुफिया एजेंसी के प्रशिक्षण कार्यों के लिए भी यह स्थान उपयोगी साबित हो सकता है। पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड की सीमा से सटे इस जिले में आईबी की मजबूत मौजूदगी आतंकियों के लिए बड़ा झटका साबित होगी।

दरअसल, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड की सीमाओं से सटा होने के कारण सहारनपुर लंबे समय से आतंकी गतिविधियों के लिहाज से संवेदनशील जिला रहा है। यहां समय-समय पर आतंकी कनेक्शन सामने आते रहे हैं। लेकिन अब इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ने सहारनपुर में अपना स्थायी ठिकाना बनाने का निर्णय लिया है। यूपी एटीएस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के बाद अब खुफिया एजेंसी भी जिले में अपना मजबूत नेटवर्क तैयार करेगी।

शाकंभरी विहार में साढ़े चार बीघा जमीन ली गई: आवास विकास परिषद की शाकंभरी विहार योजना में आईबी को कार्यालय बनाने के लिए करीब साढ़े चार बीघा भूमि आवंटित की जा चुकी है। नक्शा स्वीकृति की प्रक्रिया भी जारी है। आवास विकास परिषद के अधिशासी अभियंता सूरजपाल सिंह ने बताया कि भूमि का हस्तांतरण कर दिया गया है और अब निर्माण कार्य की प्रक्रिया शुरू होने वाली है।

मेरठ में है जोनल सेंटर, अब सहारनपुर में मिलेगा मजबूत सपोर्ट: गृह मंत्रालय के अधीन कार्यरत इंटेलिजेंस ब्यूरो का पश्चिम उत्तर प्रदेश के लिए मुख्य केंद्र मेरठ में है, जहां से वरिष्ठ अधिकारी पूरे पश्चिमी क्षेत्र पर नजर रखते हैं। लखनऊ और दिल्ली के साथ समन्वय बनाकर इनपुट के आधार पर कार्रवाई होती है। लेकिन आतंकी नेटवर्क के दृष्टिकोण से सहारनपुर सबसे संवेदनशील जिला माना गया है। इसी वजह से अब यहां स्थायी केंद्र की स्थापना की जा रही है।

देवबंद और जेवर में एटीएस सेंटर से बढ़ेगी निगरानी: जनवरी 2022 में सीएम योगी आदित्यनाथ ने देवबंद में एटीएस सेंटर का शिलान्यास किया था, जो अब पूरी तरह तैयार है। ये सेंटर सहारनपुर, मेरठ और आसपास के क्षेत्रों में निगरानी का काम करता है। वहीं, नोएडा के जेवर में भी एटीएस का एक कमांडो सेंटर बनाया गया है, जिससे पूरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश कवर हो सकेगा। इसके अलावा शामली में भी पीएसी का ट्रेनिंग सेंटर बनाया जा रहा है।

इसके अलावा सहारनपुर के दातौली रांघड़ में यूपीएसएसएफ (उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल) की द्वितीय वाहिनी के लिए 50 एकड़ से अधिक भूमि आवंटित की गई है। इसका बजट 365 करोड़ रुपए है, जो लोनिवि की भवन इकाई को प्रदान किया गया है। इसी क्षेत्र में 28 एकड़ भूमि पर एटीएस स्पॉट कमांडो ट्रेनिंग सेंटर भी विकसित किया जा रहा है।

सहारनपुर आतंकियों की पुरानी पनाहगाह: दरअसल, सहारनपुर पहले भी कई बार आतंकियों की सुरक्षित पनाहगाह बन चुका है। 1994 में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मौलाना मसूद अजहर को छुड़ाने के लिए लश्कर-ए-तैयबा ने पांच ब्रिटिश और एक आॅस्ट्रेलियन नागरिक का अपहरण किया था।

आॅस्ट्रेलियन नागरिक की हत्या कर फोटो प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई थी। जांच के दौरान पता चला कि बंधकों को सहारनपुर के खाताखेड़ी में रखा गया था। दो नवंबर 1994 को पुलिस मुठभेड़ में इंस्पेक्टर ध्रुव लाल यादव और सिपाही राजेश यादव शहीद हो गए थे।

इसके बाद लश्कर ने इंडियन एयरलाइंस विमान का अपहरण कर न केवल मसूद अजहर को छुड़ाया, बल्कि गाजियाबाद में पकड़े गए उमर सईद शेख को भी रिहा कराया गया।

आईएसआई एजेंट से लेकर लश्कर के नेटवर्क: जनवरी 2010 में रुड़की में पकड़े गए आईएसआई एजेंट आबिद अली उर्फ अबू बकर ने भी सहारनपुर के छुटमलपुर में रहकर खुफिया जानकारी एकत्र की थी। मार्च 2010 में लश्कर के आतंकी रियाज और अब्दुल लतीफ को मुंबई एटीएस ने गिरफ्तार किया, जिनके पास से सहारनपुर और मऊ के फोन नंबर मिले थे।

राम मंदिर पर हमले की साजिश में पकड़े गए अब्दुल के नेटवर्क की जांच के लिए एटीएस ने जिले में कई जगह छापेमारी की थी। हाल ही में पकड़ा गया पाकिस्तानी जासूस शाहिद इकबाल भट्टी उर्फ देवराज सहगल अपनी सजा पूरी कर चुका है और अब उसे डिपोर्ट करने की प्रक्रिया चल रही है।

उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के अधिशासी अभियंता सूरजपाल सिंह का कहना है कि आवास विकास की शाकंभरी विहार योजना में कार्यालय के लिए आइबी को भूमि हस्तांतरित की जा चुकी है। नक्शा स्वीकृति की कार्यवाही कराई जा रही है।

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