शारदा रिपोर्टर मेरठ। अनुदानित महाविद्यालयों के प्रबंध तंत्र के संगठन ने राज्य विश्वविद्यालयों से संबद्ध महाविद्यालयों में कार्यकारी समिति के चुनाव के संबंध में सुधारों की मांग की है। फोरम के अध्यक्ष विवेक कुमार गर्ग ने बताया कि प्रबंध तंत्र के चुनाव में बाह्य पर्यवेक्षकों की भागीदारी से स्थानीय राजनीति में शिक्षकों की अनावश्यक संलिप्तता बढ़ती है, जिससे शिक्षण व अनुसंधान जैसे मुख्य कार्यों में व्यवधान उत्पन्न होता है।
संबद्ध महाविद्यालय स्वतंत्र चुनाव आयोजित करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि बाह्य पर्यवेक्षकों की अनिवार्यता संस्थाओं की प्रशासनिक स्वतंत्रता को बाधित करती है। कई बार पर्यवेक्षकों की नियुक्ति व्यक्तिगत अथवा राजनीतिक प्रभाव के अधीन होती है, जिससे प्रक्रिया की निष्पक्षता संदिग्ध हो जाती है।
अनुदानित महाविद्यालय के इस फोरम ने शासन से मांग की है कि संबद्ध महाविद्यालयों को अपने वरिष्ठ संकाय या प्रबंधन प्रतिनिधियों की देखरेख में चुनाव आयोजित करने की अनुमति प्रदान की जाए।
यदि किसी बाह्य पर्यवेक्षक की आवश्यकता हो तो वह सेवानिवृत्त न्यायिक/प्रशासनिक अधिकारी अथवा निष्पक्ष शिक्षाविद् होना चाहिए। इसके अतिरिक्त विवि की भूमिका चुनाव उपरांत पुष्टि एवं समर्थन तक सीमित की जाए। यह परिवर्तन न केवल शैक्षणिक कार्यों की शुचिता बनाए रखेगा बल्कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप स्वायत्तता, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को भी प्रोत्साहित करेगा।