Home शहर और राज्य उत्तर प्रदेश पीडब्ल्यूडी की सहायक अभियंता समेत पांच निलंबित

पीडब्ल्यूडी की सहायक अभियंता समेत पांच निलंबित

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– भूमि अधिग्रहण घोटाले में बड़ी कार्रवाई, 80 करोड़ रुपये का हुआ था घोटाला


बरेली। भूमि अधिग्रहण घोटाले के आरोपियों पर कार्रवाई का शिकंजा कसना शुरू हो गया। बरेली के डीएम की ओर से भेजी गई जांच रिपोर्ट का परीक्षण करने के बाद शासन ने लोक निर्माण विभाग के तीन अवर अभियंताओं और एक अमीन को निलंबित करने के आदेश दिए हैं।

बरेली-सितारगंज हाईवे के चौड़ीकरण और रिंग रोड के लिए जमीन अधिग्रहण के मामले में 80 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला सामने आने के बाद शासन ने यह कार्रवाई की है। शासन की ओर से अनुसचिव शिवकुमार ने बुधवार को लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता (विकास) को पत्र भेजा है।

इसमें लिखा कि डीएम की ओर से गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट शासन को 11 सितंबर को प्राप्त हो गई है। इसके निष्कर्ष के आधार पर अवर अभियंता राकेश कुमार, अंकित सक्सेना, सुरेंद्र सिंह और अमीन शिवशंकर को निलंबित कर अनुशासनिक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की गई है।

मुख्य विकास अधिकारी जगप्रवेश ने दस दिनों तक जांच के बाद 227 पेज की रिपोर्ट डीएम को 10 सितंबर को सौंपी थी। डीएम ने रिपोर्ट शासन को भेजी थी। इसमें परिसंपत्तियों के अधिक मूल्यांकन के लिए एनएचएआई के साइट इंजीनियर, नामित एजेंसी साईं सिस्ट्रा ग्रुप, एसए इंफ्रास्ट्रक्चर कंसल्टेंसी के प्रतिनिधियों को दोषी ठहराया गया है।

साथ ही, गलत सत्यापन के लिए पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन अधिशासी अभियंता नारायण सिंह, सहायक अभियंता स्नेहलता श्रीवास्तव, अवर अभियंता राकेश कुमार, अंकित सक्सेना, सुरेंद्र सिंह और अमीन शिवशंकर को दोषी बताया गया था। शासन ने इसी रिपोर्ट को कार्रवाई का आधार बनाया है।

पीलीभीत में भी लेखपालों-अभियंताओं को सता रहा कार्रवाई का डर

बरेली में लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं को निलंबित करने का आदेश जारी होने के बाद पीलीभीत से भी तत्कालीन अधिकारियों के नाम मांगे गए हैं। इस वजह से यहां भी लेखपालों और अभियंताओं को कार्रवाई का डर सताने लगा है। दोनों विभागों के कर्मचारियों में खलबली मची हुई है। सभी आपस में दोषियों के नाम को लेकर चर्चा कर रहे हैं।
वहीं, मंडलायुक्त ने भी मामले में पीलीभीत में तैनात तत्कालीन कर्मचारियों और अधिकारियों के नाम मांगे हैं। यह जानकारी शासन को भेजी जाएगी। माना जा रहा है कि इसके बाद यहां भी अधिकारियों, कर्मचारियों और अभियंताओं पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है।

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