- मशीन के अंदर संवेदना नहीं होती है,
- हमारा हित अहित हमें तय करना होगा।
शारदा न्यूज़, संवाददाता।
मेरठ। सब कुछ मशीन के भरोसे नहीं छोडा जा सकता है। क्योंकि मशीन के अंदर संवेदना नहीं होती है। मशीन के पीछे ज्यादा नहीं भागना चाहिए। हमारा हित अहित हमें तय करना होगा। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उतना ही उपयोग करें जितनी जरूरत हो। डाटा और नॉलेज एक पॉवर है, जिसका दुरूपयोग किया जा रहा है। ऐसी चीजों से सतर्क रहना चाहिए। यह बात तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस विषय पर आयोजित एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में पहले सत्र के मुख्य अतिथि कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रांची के कुलपति प्रो0 बलदेव भाई शर्मा ने कही।

प्रो0 बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि मनुष्य की दिमागी शक्ति ही सर्वोपरि है। मीडिया और शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग करने के लिए सावधान रहना होगा। तकनीकी में जो सही है उसको उपयोग करना चाहिए। यदि क्रिएटिविटी नहीं होगी तो पत्रकारिता नहीं बचेगी। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तय नहीं करेगा कि कौन सी खबर छपेगी।आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के भरोसे पत्रकारिता नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि कोरोना काल में मीडिया ने बहुत ही सकारात्मक भूमिका निभाई थी। पत्रकारिता केवल एक बौद्धिक उपक्रम नहीं है। पत्रकारिता में संवेदना भी हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तय नहीं करेगा कि कौन सा पाठयक्रम तय होगा। समय के हिसाब से जो जरूरत होगी वह शिक्षक ही पाठयक्रम बनाएगा। कार्यक्रम के पहले सत्र की अध्यक्षता कर रहे सर छोटूराम इंजीनियिरिंग एंड टैक्लोलॉजी के निदेशक डॉ0 नीरज सिंघल ने कहा कि बीते 40 वर्षो में तकनीक ने बहुत तेजी से विकास किया है। जितना तकनीक का विकास 40 साल में हुआ उससे कहीं अधिक विकास आने वाले 10 सालों में होगा। सोशल मीडिया ने मानव को सीमित कर दिया है। चैट जीपीटी मानसिक उपयोगिता को कम कर दिया है। हम तकनीक के ऊपर निर्भर हो गए है। कम पढ लिखे व्यक्ति अपने दिमाग का ज्यादा उपयोग करते हैं। पहले सत्र का संचालन शोध छात्रा पूजा शर्मा ने किया। प्रोफेसर विक्रांत किशोर ने कहा कि हमें सीखने की प्रक्रिया में सदैव तत्पर रहना पड़ेगा जिसमें कि हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए अच्छे कंटेंट तैयार कर सकें हमें कल्पनाशीलता चिंतन मनन और मंथन को लगातार जारी रखना होगा सोशल मीडिया के क्षेत्र में विद्यार्थियों के लिए अपार संभावनाएं उपलब्ध हैं कंटेंट राइटर के रूप में वह पोर्टल पर भी अनेक रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकते हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग सबसे ज्यादा शॉपिंग मार्केटिंग में किया जा रहा है। औद्योगिक जगत में ग्राहक को प्रभावित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग किया जा रहा है। सभी क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग बढा है। मीडिया भी इससे अछूता नहीं रहा है। यह बात दूसरे सत्र की मुख्य अतिथि सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड में असिस्टेंट प्रोफेसर रशमी वर्मा ने कहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कम्यूनिकेशन टूडे के संपादक प्रो संजीव भनावत ने कहा कि सूचना क्रांति का विस्फोट हो रहा है। तकनीक के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव होते हैं। दुनिया में हर जगह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ने प्रभावित किया है। हमारे जीवन में भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ने प्रभावित किया है। मनुष्य से बेहतर सोचने वाली मशीन आ गई तो हमारी रचनात्मकता का क्या होगा। यह सोचने वाली बात है कि पारदर्शिता की कसौटी पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस क्या खरा उतर पाएगा। मुख्य वक्ता प्रोफेसर राकेश उपाध्याय ने कही।


