- नगर निकाय निदेशालय के निदेशक अनुज कुमार झा की जांच में दोषी पाए गए शैलेंद्र सिंह
- ठेकेदार विकास कुमार भी जीएसटी की करोड़ों की चोरी मामले में फंसे
शारदा रिपोर्टर
मेरठ। दौराला नगर पंचायत के पूर्व अधिशासी अधिकारी 15 करोड़ रुपये के घोटाले और गबन के मामले में दोषी सिद्ध हुए हैं। फर्जी बिल बनाकर उन्होंने और तत्कालीन नगर पंचायत अध्यक्ष ने यह घोटाला किया था। उनके खिलाफ अब विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई है।
नगर निकाय निदेशालय के निदेशक अनुज कुमार झा के जारी पत्र में बताया गया है कि दौराला के तत्कालीन सभासद रवि चौधरी की शिकायत पर तत्कालीन डीएम और आयुक्त द्वारा जांच की गई थी। उस जांच रिपोर्ट में अधिकांश आरोप सही पाए गए। इसके बाद इस मामले की निदेशालय स्तर पर जांच हुई, जिसमें आरोप सही पाए गए। इसलिए वर्तमान में मुरादनगर नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी जो कि पूर्व में दौराला में तैनात थे, उनके खिलाफ गबन के आरोप सही पाए जाने पर विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की जाती है।
ये था पूरा मामला : नगर पंचायत दौराला के पूर्व सभासद रवि चौधरी ने अक्तूबर 2021 में जिलाधिकारी से एक शिकायत की थी। जिसमें 14 बिंदुओं पर हुई शिकायत पर डीएम मेरठ द्वारा जांच कराई गई थी। आरोप लगाया था कि अत्योंष्टि स्थल निर्माण में साढ़े चार करोड़ रुपये खर्च किए गए। लेकिन इसमें मानकों का ध्यान नहीं रखा गया।
इंटरलॉकिंग टाइल्स आईएसआई मार्क की लगनी चाहिए, लेकिन नहीं लगाई गई और भुगतान आईएसआई का किया गया। गौशाला निर्माण में घोटाला हुआ वह गौचर जमीन पर बना दी गई। जबकि नियमानुसार नहीं हो सकती थी। वहीं 15 लाख रुपये का मिट्टी भराव का काम फर्जी रूप
से दिखाकर भुगतान कर दिया गया।
इसके साथ ही ठेकेदार विकास कुमार पर भी आरोप लगाया कि उन्होंने अपने पिता की हैसियत प्रमाण-पत्र पर काम किया। वहीं टैक्स भुगतान में भी दो प्रतिशत के बजाए एक प्रतिशत लेकर 25 लाख रुपये का चूना सरकार को लगाया गया। अधिकांश काम विकास कुमार से कराए गए। इसके अलावा हाईमास्ट लाइट, पाइप लाइन आदि के काम में भी आरोप लगाए गए। इसके अलावा एक ठेकेदार जिसके पास श्रम विभाग लाइसेंस भी नहीं था, उसे लेबर का काम दे दिया गया और डेढ़ करोड़ का भुगतान भी कर दिया गया।
दौराला में काफी चर्चित रहे थे शैलेंद्र सिंह
दौराला में अधिशासी पद पर रहते हुए शैलेंद्र सिंह काफी चर्चित रहे थे। उस वक्त एक अपर जिलाधिकारी स्तर के अधिकारी का वरदहस्त प्राप्त होने के कारण उन्हें कई नगर पंचायतों का अतिरिक्त प्रभार भी दिया हुआ था। वह लाइसेंसी पिस्टल के साथ दबंगई करते हुए भी कई बार नजर आए थे।
एक राज्यमंत्री के दबाव में हुआ काम
रवि चौधरी ने आरोप लगाया कि लेबर उपलब्ध कराने वाले ठेकेदार को काम एक राज्यमंत्री के दबाव में दिया गया। जो कि पूरी तरह नियमों के विपरीत था।