शारदा रिपोर्टर
मेरठ। नगर निगम प्रकरण में पार्षदों के बीच हुए विवाद के बाद राजनीति गरमा गई थी। जबकि बीती 7 जनवरी को मुकेश सिद्धार्थ ने विवादास्पद बयान देकर काफी सुर्खियां बटोरी थी। लेकिन दो दिन बाद ही दलित व भाजपा पार्षदों के बीच समझौता हो गया था। हालांकि मुकेश सिद्धार्थ द्वारा दिये गए विवादास्पद बयान के बाद पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रर्वाई करते हुए जेल भेज दिया था।
अब पुलिस ने मुकेश सिद्धार्थ पर रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) लगाने की भी तैयारी कर ली है। जिसके विरोध मे शनिवार को बड़ी संख्या में दलित समाज के लोग जिलाधिकारी से मिले और ज्ञापन देकर रासुका की कार्रवाई न करने का आग्रह किया। यहां सवाल यह उठ रहा है कि आखिर दलित समाज के लोग मुकेश सिद्धार्थ द्वारा शहर को जलाने वाले बयान पर चुप क्यों है। पुलिस तो अपना काम कर रही है, लेकिन समझौता भी तो दलितों ने ही किया है। ज्ञापन सौंपने वालों में पूर्व विधायक विनोद हरित, नरेंद्र खजूरी, प्रताप लोहिया, दीपक गुन, एडवोकेट लीलापत, प्रवीण भारती, रविंद्र पे्रमी, सतीश प्रकाश, रामदास, सुशील कुमार व पूर्व पार्षद प्रसन्नजीत गौतम आदि शामिल रहे।