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Wednesday, December 24, 2025
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स्लीपर सेल को फंडिंग कर रहे साइबर अपराधी, जांच में हुआ बड़ा सनसनीखेज खुलासा

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– पाकिस्तान-दुबई से आती रकम।


रायबरेली। चार साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी के बाद जांच में हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। जांच में पता चला कि साइबर अपराधी स्लीपर सेल को फंडिंग कर रहे हैं। पाकिस्तान और दुबई से मिली रकम बिहार के युवाओं के खातों में जमा कराई है।

रायबरेली में चार साइबर अपराधियों की मदद से पाकिस्तान निवासी रहीम उत्तर प्रदेश व बिहार के आतंकी स्लीपर सेल को फंडिंग करा रहा था। इसके लिए उसने चार प्रदेशों में 150 से अधिक बैंक खाते खुलवाए। उन्हीं बैंक खातों से करीब 162 करोड़ रुपये दुबई व पाकिस्तान से भेजे। बदले में साइबर अपराधियों को सात से आठ प्रतिशत कमीशन दिया।

रायबरेली पुलिस के साथ जांच में जुटी एसटीएफ व आईबी के अनुसार रहीम ने रायबरेली निवासी सोनू पांडेय, दुर्गेश पांडेय, संजय पांडेय व सत्यम मिश्र को पैसे का लालच देकर काम के लिए तैयार किया। चारों आरोपियों ने डलमऊ, लालगंज, ऊंचाहार व महाराजगंज के करीब 325 लोगों के खाते खुलवाकर उनके डेबिट कार्ड (एटीएम) और बैंक खाते से लिंक मोबाइल नंबर के सिम कार्ड भी अपने पास रख लिए।

मामले की तह तक जाने के लिए हमने जेल में बंद दुर्गेश व संजय पांडेय से भी मुलाकात की। उन्होंने हमें बताया कि रहीम बैंक खातों में दुबई व पाकिस्तान से पैसे भेजता और दुर्गेश यहां यूपीआई व नेट बैंकिंग के माध्यम से पैसे निकालकर अपना कमीशन रखकर यूपी व बिहार के दूसरे बैंक खातों में पैसे जमा कर देता।

सुरक्षा एजेंसियों ने स्थानीय स्तर पर शिकंजा कसा तो दुर्गेश ने साथियों की मदद से बिहार, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल व झारखंड में बैंक खाते खुलवाए। वहां से रुपये निकालकर बिहार के मधुबनी, सीतामढ़ी, दरभंगा व समस्तीपुर के युवाओं के खाते में ट्रांसफर करा दिए।

नेपाल से सटे सीमावर्ती जिलों में भी भेजे 50 करोड़

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार बिहार के दरभंगा के जिन युवाओं के खाते में पैसे जमा कराए गए हैं उनमें कुछ युवाओं के परिजनों का पूर्व में जुड़ाव स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आॅफ इंडिया (सिमी) व इंडियन मुजाहिदीन (आइएम) से रहा है। दुर्गेश ने इसी तरह से करीब 50 करोड़ रुपये नेपाल के सीमावर्ती जिलों के बैंक खातों में भी जमा कराए।

स्लीपर सेल की फंडिंग में साइबर

पूर्व आईबी अधिकारी संतोष सिंह ने बताया कि अपराधियों की मदद का मामला नया और सुरक्षा के लिहाज से बेहद ही चुनौतीपूर्ण है। इस लिहाज से आगामी 2027 तक का समय बेहद अहम है। इस दरमियान कुछ बड़ी साजिश को अंजाम दिया जा सकता है।

 

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