spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Wednesday, December 24, 2025
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
HomeTrendingConstitution Day 2025: संविधान दिवस पर जानें रोचक कहानी....

Constitution Day 2025: संविधान दिवस पर जानें रोचक कहानी….

-

  • किसने लिखा था भारत का संविधान, एक रुपया भी नहीं लिया, हर पेज पर लिखा अपना नाम, संविधान दिवस पर जानें रोचक कहानी.

Constitution Day 2025: आज देश भर में संविधान दिवस मनाया जा रहा है. इस दिन आपको भी भारतीय संविधान से जुड़ी खास बातें जानना जरूरी हैं. संविधान के लेखन से लेकर हस्ताक्षर तक जानें सारी बातें….

भारतीय संविधान के रचयिता डॉ. भीमराव अंबेडकर थे, लेकिन क्या आपको पता है कि संविधान की मूल प्रति किसने अपने हाथों से लिखी. बिहार के मधुबनी जिले के प्रेम बिहारी नारायण रायजादा वो शख्स थे, जिन्होंने संविधान की ये मूल प्रति अपने हाथों से लिखी थी. ये मूल प्रति अंग्रेजी में लिखी गई थी. संविधान की मूल प्रति अंग्रेजी भाषा में है, जिसका हिन्दी में भी अनुवाद किया गया.पेन की 432 निब घिसने के बाद छह महीने में उन्होंने ये प्रति तैयार की. निब को लकड़ी के होल्डर में लगाकर और उसे स्याही में डुबोकर लिखने का कार्य किया गया.

संविधान लिखने की कोई फीस नहीं ली

भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने प्रेम बिहारी से संविधान इतालवी भाषा में लिखने का अनुरोध किया था. प्रेम बिहारी ने संविधान लिखने के लिए कोई भी शुल्क नहीं लिया. लेकिन संविधान के हर पेज पर अपना नाम लिखने और आखिरी पेज पर अपने दादाजी रामप्रसाद सक्सेना का नाम लिखने की शर्त जरूर रखी.प्रेम बिहारी ने जिस कक्ष में संविधान को बैठकर लिखा, वहीं संविधान क्लब का निर्माण किया गया.कॉन्स्टीट्यूशन हॉल में प्रेम बिहारी को ये संविधान लिखने में 6 महीने का वक्त लिखा.

संविधान खास कागज में लिखी गई, 432 निब घिस गईं

संविधान खास कागज में लिखी गई, 432 निब घिस गईं

संविधान की ये मूल प्रति 45.7 गुना 58.4 सेमी के खास पार्चमेंट कागज पर लिखी गई थी. ब्रिटेन के बर्मिंघम शहर से यह न चिपकने वाला खास कागज संविधान लेखन के लिए मंगाया गया. संविधान की मूल प्रति लेदर की काली जिल्द में है. अंग्रेजी की प्रति में 233 पन्ने हैं.इस पर सोने की कारीगरी की गई. संविधान की हिन्दी की प्रति में 264 पन्ने हैं, जिसका वजन 13 किलो है. संविधान की हिन्दी प्रति पुणे के रिसर्च सेंटर में बना है. हिन्दी की ये संविधान प्रति कैलिग्राफर वसंत कृष्ण वैद्य ने लिखी थी.

संविधान की मूल प्रति कहां है

- 13 किलो वजन संविधान की मूल प्रति का
- 1 हजार साल तक खराब नहीं होता ये कागज
- 3.75 किलो था संविधान की सिर्फ पांडुलिपि का
- 233 पृष्ठ हैं संविधान की पांडुलिपि में
- 6 महीने लगे संविधान को लिखने में
- 395 अनुच्छेद, 8 शेड्यूल और एक प्रस्तावना लिखी 

बचपन में मां-बाप को खोया, दादा ने पाला

मधुबनी जिले के रायजादा ने बचपन में ही अपने मां-बाप को खो दिया था. रायजादा के दादा और अंग्रेजी और फारसी भाषा के प्रकांड विद्वान रामप्रसाद सक्सेना ने उन्हें पाला पोसा.रायजादा ने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से स्नातक किया था और फिर सुलेखन यानी कैलीग्राफिक आर्ट में महारथ हासिल की.इसीलिए उन्होंने संविधान के हर पेज पर अपना नाम लिखने और आखिरी पर दादा राम प्रसाद सक्सेना लिखने की शर्त रखी थी.

मूल संविधान की प्रति कहां सुरक्षित

संविधान की मूल अंग्रेजी और हिन्दी की प्रति संसद ने 1985 में बड़ा कदम उठाया. पार्लियामेंट लाइब्रेरी की पहल पर नेशनल फिजिकल लैबोरेटरी ने कांच के ऐसे सीलबंद बॉक्स तैयार किए, जहां संविधान की ये मूल प्रति सैकड़ों साल तक सुरक्षित रखी जा सकती है. अमेरिकी संविधान को ऐसे ही हीलियम चैंबर के बॉक्स की कोशिश सफल नहीं रही तो भारतीय संविधान को नाइट्रोजन बॉक्स में रखा गया.

एक पैसा भी नहीं. मेरे पास भगवान की दया से सब कुछ है. मैं अपनी जिंदगी से खुश हूं, लेकिन मेरी एक शर्त है कि इसके हर पेज पर मैं अपना नाम और आखिरी पृष्ठ पर अपने दादा का नाम लिखूंगा.– प्रेम बिहारी रायजादा(संविधान की मूल प्रति के लेखक)

नाइट्रोजन के 2 चैंबर बॉक्स बनाए गए

संविधान की मूल प्रतियों को संरक्षित करने के लिए 180 X305 सेमी के सील बंद बॉक्स अमेरिकी शहर कैलीफोर्निया से नई दिल्ली भेजे गए.इस बॉक्स में केमिकल डाला गया ताकि उसमें ऑक्सीजन न रहे.ऑक्सीजन न होने से इस सीलबंद बॉक्स में कागज खराब नहीं होता.

संविधान में किसके हस्ताक्षर

संविधान की प्रति में सबसे पहले संविधान सभा अध्यक्ष और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का हस्ताक्षर होना था. मगर सबसे पहले पहुंचे पीएम जवाहर लाल नेहरू ने हस्ताक्षर किए और अन्य लोग भी पहुंच गए. आखिरी में पहुंचे राजेंद्र प्रसाद को जगह नहीं मिली तो उन्होंने सबसे ऊपर तिरछे हस्ताक्षर किए.

संविधान की कहानी

9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक
4 नवंबर 1947 को ड्रॉफ्ट समिति ने मसौदा तैयार कर संविधान सभा को सौंपा
2 साल तक करीब बहस चली संविधान सभा के विभिन्न बिंदुओं पर
2 हजार बदलाव किए गए मसौदे में और फिर 26 नवंबर 1949 को स्वीकार किया गया
6 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार किया गया
26 नवंबर 1949 को संविधान लेखन कार्य पूरा हुआ 
26 जनवरी 1950 में इस पर हस्ताक्षर हुए
125 साल पूरे हुए 2015 में संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर की वर्षगांठ के 
19 नवंबर 2015 को हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने का ऐलान किया

Related articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

4,000,000FansLike
100,000SubscribersSubscribe

Latest posts