शारदा रिपोर्टर मेरठ। सेंट्रल मार्केट शास्त्री नगर इलाके में आवासीय क्षेत्र में कॉमर्शियल प्रयोग करने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हुए सर्वे कार्य, रिपोर्ट कोर्ट में पेश होने के बाद आने वाले निर्णय को लेकर व्यापारियों में भय व्याप्त है। जिसको लेकर दर्जनों व्यापारी ऊर्जा राज्य मंत्री डा सोमेंद्र तोमर से उनके आवास पर मिले। इस दौरान व्यापारियों ने ऊर्जा राज्य मंत्री डा सोमेंद्र तोमर से सेंट्रल मार्केट के व्यापारियों को हो रही परेशानियों से मुक्ति दिलाने की मांग की।
व्यापार बचाओ संघर्ष समिति सेंट्रल मार्केट शास्त्रीनगर, जागृति विहार पदाधिकारियों ने ऊर्जा राज्य मंत्री डा सोमेंद्र तोमर से आवास विकास परिषद द्वारा व्यापारियों पर किए जा रहे उत्पीड़न को लेकर चर्चा की गई और व्यापारियों ने मांग करते हुए कहा कि, पिछले काफी समय से व्यापारी विभिन्न परेशानियों से जूझ रहे हैं बावजूद इसके अब आवास विकास प्राधिकरण व्यापारियों का उत्पीड़न कर रहा है।
वहीं, व्यापारियों की बात सुनने के बाद ऊर्जा राज्य मंत्री डा सोमेंद्र तोमर ने व्यापारियों को आश्वासन दिया कि प्रभारी मंत्री आज मेरठ में ही है और वह खुद व्यापारियों की समस्या को लेकर उनके बात करेंगे। वहीं, व्यापारियों का कहना है कि, अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो वह आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे।
इस दौरान समिति सदस्य सभासद वीरेंद्र शर्मा बिल्लू, संजीव पुंडीर, अशोक सोम, हिमांशु बत्रा सन्नी, पवन अग्रवाल, परवीन शर्मा पम्मी, महिपाल भड़ाना, मुनीश शर्मा, नितिन अग्रवाल आदि रहे।
घर-घर खुल गई दुकानें
सेंट्रल मार्केट में आवासीय भवनों में शोरूम और कॉम्पलेक्स चल रहे हैं। घर-घर में दुकानें खुल गई हैं और व्यावसायिक गतिविधियां हो रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 19 नवंबर को मामले में सुनवाई करते हुए 499 भवनों का स्टेटस मांगा है। सेक्टर-6, 1 व 9 में ऐसे भवनों के लिए विभाग की ओर से शुक्रवार को भी सर्वे किया गया।
मामला गर्माने से व्यापारियों में भय
आवास विकास परिषद की शास्त्रीनगर योजना में भू-उपयोग परिवर्तन कर किए गए अवैध निर्माण का मामला अब फिर से गरमा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक सप्ताह में जवाब मांगा है। 19 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जेबी पादरीवाला व न्यायमूर्ति आर. महादेवन ने एक दुकानदार राजेंद्र कुमार बड़जात्या व उप्र एवं आवास विकास परिषद के मामले में सुनवाई की थी। सभी पक्षकारों से एक सप्ताह में लिखित में उनसे पक्ष मांगा है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उप्र आवास एवं विकास परिषद से 499 प्लॉटों का किस प्रकार प्रयोग हो रहा है इस पर जवाब मांगा है। माना जा रहा है कि तीन हजार से अधिक ऐसे अवैध निर्माण हैं, जिनमें भू-उपयोग परिवर्तन कर अन्य गतिविधियों का संचालन हो रहा है। अधिशासी अभियंता आफताब अहमद ने बताया कि शुक्रवार को सेक्टर-4 व 11 में सर्वे किया गया।