लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए विधेयक पर प्रतिक्रिया देते हुए इस मुद्दे पर पार्टी का रुख स्पष्ट कर दिया है। BSP चीफ ने एक बयान में कहा है कि उनकी पार्टी इस बिल से सहमत नहीं है। उन्होंने आशंका जताई है कि इस कानून का भविष्य में दुरुपयोग हो सकता है।
संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने प्रतिक्रिया दी है। बहुजन समाज पार्टी की चीफ ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक बयान में कहा है कि ”केन्द्र सरकार द्वारा कल संसद में, भारी हंगामे के बीच लाया गया 130वाँ संविधान संशोधन बिल, देश में पिछले कुछ वर्षों से चल रहे राजनैतिक हालात में, यह स्पष्टतः लोकतंत्र को कमज़ोर करने वाला लगता है और इसका सत्ताधारी पार्टियाँ अपने-अपने लाभ, स्वार्थ व द्वेष में ज्यादातर इसका दुरुपयोग ही करेंगी, ऐसी जनता को आशंका। अतः इस बिल से हमारी पार्टी कतई भी सहमत नहीं है। सरकार इसे देश के लोकतंत्र एवं संविधान के हित में ज़रूर पुनर्विचार करे तो यह उचित होगा।’
विधेयक में क्या है?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के विरोध और हंगामे के बीच सदन में ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025’, ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025’ और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025’ पेश किए। बाद में उनके प्रस्ताव पर सदन ने तीनों विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजने का निर्णय लिया।
विधेयकों के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि कोई मंत्री जो गंभीर दंडनीय अपराधों के आरोप का सामना कर रहा है, उसे गिरफ्तार किया जाता है और हिरासत में रखा जाता है तो वह संवैधानिक नैतिकता के मापदंडों तथा सुशासन के सिद्धांतों को विफल कर सकता है या उनमें बाधा डाल सकता है और अंतत: लोगों द्वारा उसमें जताए गए विश्वास को कम कर सकता है। इसके अनुसार ऐसे मंत्री को हटाए जाने के लिए संविधान के अधीन कोई उपबंध नहीं है जो गंभीर दंडनीय आरोपों के तहत गिरफ्तार किया जाता है।