- नमाजवाद है राजद का समाजवाद।
एजेंसी, नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। बीते दिन पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ एक रैली आयोजित की गई, जिसमें आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने बड़ा ऐलान कर दिया। उन्होंने दावा किया कि अगर उनकी सरकार बनी तो वे इस बिल को प्रदेश में लागू नहीं होने देंगे और कूड़ेदान में फेंक देंगे। तेजस्वी के बयान पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पलटवार किया है। वक्फ समाजवाद के विचार के खिलाफ है। उनका विचार संविधान को नीचा दिखाना, उसे तोड़ना है। वे गरीब मुसलमानों के साथ नहीं बल्कि उन चंद लोगों के साथ खड़े हैं जो सारी संपत्तियों पर कब्जा करना चाहते हैं। यह समाजवाद नहीं बल्कि नमाजवाद है।
बीजेपी ने इस संबंध में सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि अभी हाल ही में हमने भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे दुर्दांत काले अध्याय आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण किए, लेकिन बड़े दुख की बात है कि पटना के उसी गांधी मैदान में जहां आपातकाल के दौरान संविधान की रक्षा और संविधान के सम्मान के लिए जान की परवाह किए बिना लाखों लोग एकत्र हुए थे, वहां कल एक ऐसी रैली हुई, जिसमें इंडिया गठबंधन के सहयोगी बिहार के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि संसद के कानून को (वक्फ बोर्ड कानून) कूड़ेदान में फेंक देंगे, जबकि यह कानून (वक्फ बोर्ड कानून) दोनों सदनों से पारित है और कोर्ट में विचाराधीन है। इसका अर्थ ये हुआ कि न संसद का सम्मान न न्यायपालिका का सम्मान।
त्रिवेदी ने कहा बीजेपी और एनडीए उन लोगों से लड़ेंगे जो संविधान से संबंधित कुछ भी फेंकने की कोशिश करेंगे। क्या सीरिया, इराक, तुर्की, पाकिस्तान, सऊदी में शरिया है? जवाब है नहीं क्या तेजस्वी बिहार में शरिया लागू करने की कोशिश कर रहे हैं?