Wednesday, April 16, 2025
Homeउत्तर प्रदेशMeerutभाजपा की नैतिक हार, कांग्रेस को थोड़ा लाभ

भाजपा की नैतिक हार, कांग्रेस को थोड़ा लाभ

  • कई राज्यों में कांग्रेस का बुरा हाल रहा, उत्तरी भारत में दिखी चमक
  • केजरीवाल और हेमंत सोरन का जेल जाना फायदेमंद नहीं रहा

ज्ञान प्रकाश, संपादक 

मेरठ। लोकसभा के अप्रत्याशित परिणामों ने निश्चित रुप से एनडीए को चौंका दिया है। चार सौ पार का आंकड़ा देकर 370 सीटें लाने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी ढाई सौ से नीचे सिमट गई और अपने दम पर सरकार बनाने के ख्बाव को पूरा नहीं कर पाई। कांग्रेस ने यूपी, राजस्थान, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र और तेलंगाना में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन कई राज्यों में कांग्रेस की बुरी स्थिति रही।

भारतीय जनता पार्टी के लिये इस बार का चुनाव बुरा साबित हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर लड़ा गया चुनाव नाकाम साबित हुआ। खुद वाराणसी सीट पर नरेन्द्र मोदी पिछली बार के आंकड़े के पास भी नहीं फटक पाये और डेढ़ लाख से थोड़े अधिक वोट से ही जीत दर्ज कर पाए। जो उनकी प्रतिष्ठा के हिसाब से अच्छा नहीं कहा जाएगा। जबकि दूसरी तरफ राहुल गांधी ने केरल की वायनाड और रायबरेली से काफी अच्छी जीत दर्ज की। भाजपा नेताओं की सबसे बड़ी चूक यह रही कि वो जाटों की नाराजगी, ठाकुरों की नाराजगी, महिला पहलवानों की नाराजगी और किसानों की नाराजगी की गंभीरता को समझ नहीं पाए।

वहीं भाजपा के छुटभैय्ये नेताओं के द्वारा संविधान बदलने की बात कह कर पार्टी के लिये जिस तरह मुसीबतें खड़ी की गई उससे निपटने में भाजपा हाईकमान पूरी तरह से नाकाम रहा। सैंकड़ों रैलियों और रोड शो करने के बाद भी भाजपा नेता यूपी में बह रह अंडर करंट को समझ नहीं पाए। समाजवादी पार्टी ने जिस तरह रणनीति बनाकर चुनाव लड़ा वो काबिलेतारीफ कहा जाएगा।

वहीं प्रदेश में बसपा का सूपड़ा साफ होना भी राजनीति को नई दिशा देगा। बसपा ने वेस्ट यूपी की तीन सीटों मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ और सहारनपुर और बागपत में ही ठीकठाक वोट लिये नहीं तो बाकी जगह बसपा सुप्रीमो मायावती का जादू कहीं नहीं चला। कांग्रेस को यूपी में उतना फायदा नहीं हुआ जितना सपा को हुआ है। यूपी का मुसलमान पूरी तरह से कांग्रेस के साथ था और इसका फायदा सपा उठा ले गई लेकिन कांग्रेस जिन 17 सीटों पर खड़ी थी उनमें से चार पांच सीटों को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस को सपा के वोटर मदद के लिये नहीं आए। कांग्रेस को मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड,दिल्ली, उड़ीसा और पश्चिमी बंगाल में चिंतन करने की जरुरत है क्योंकि इन राज्यों में कांग्रेस की एंट्री बमुश्किल हुई है।

वेस्ट बंगाल में ममता बनर्जी ने दिखा दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लगातार विरोध और संदेशखाली के प्रकरण के बाद भी पार्टी का जबरदस्त प्रदर्शन रहा और भाजपा को बैकफुट पर धकेल दिया। आंध्र प्रदेश में तेलगूदेशम के चन्द्रबाबू नायडू एक बार फिर संकटमोचक बनकर उभरे और एनडीए की सीटों को बहुमत से पार करा दिया।

बिहार में कांग्रेस और तेजस्वी यादव के गठबंधन ने करिश्मा नहीं किया और जदयू, भाजपा और चिराग पासवान ने मिलकर बेहतरीन प्रदर्शन किया। पूर्वाेत्तर भारत में भी भाजपा और कांग्रेस में रस्साकशी हुई। सकारात्मक बात यह है कि केरल और तमिलनाडू में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

ताजा खबर

Recent Comments