Friday, May 9, 2025
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सायरन बजते ही भागे बच्चे, कोई डेस्क के नीचे छिपा तो कोई नीचे लेटा, मॉक ड्रिल का आयोजन, शाम को ब्लैक आउट

  • सिविल डिफेंस और पुलिस प्रशासन ने स्कूल-कॉलेजों में किया मॉक ड्रिल का आयोजन,
  • शाम को ब्लैक आउट

शारदा रिपोर्टर मेरठ। पाकिस्तान से जंग के आगाज के चलते हर स्तर पर तैयारी मजबूती से चल रही है। इसके लिए बुधवार को सिविल डिफेंस और पुलिस-प्रशासन के साथ ही सेना के साथ मिलकर शहर और देहात क्षेत्र के स्कूल-कॉलेजों में मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। ताकि किसी भी संभावित हवाई हमले के दौरान लोगों को बचाया जा सके।

 

एसडी सदर इंटर कॉलेज में जिला प्रशासन द्वारा मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इसमें कॉलेज के छात्रों, एनसीसी कैडेट्स सहित अन्य लोगों को जागरूक किया गया। एचडी सदर के आपदा प्रबंधन संगठन के उपाध्यक्ष हरेंद्र चौधरी ने बताया कि हमले के समय कुछ नियमों फॉलो करना है। हमले के समय पैनिक नहीं होना है। सायरन बजने के बाद 3 मिनट का समय सुरक्षित स्थान पर जाने का मिलता है। अगर खुले स्थान पर हैं तो 50 मीटर के दायरे किसी स्थान पर छुप जाए। मोबाइल का ज्यादा प्रयोग न करे। कार्यक्रम में तहसीलदार सदर ज्योति सिंह सतीश कुमार नायब तहसीलदार सतीश कुमार चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर महेश चंद सीनियर डिवीजन आॅफिसर राम कुमार और प्रधानाचार्य आदित्य प्रकाश सक्सेना शामिल रहे।

हवाई हमलों जैसी आपात स्थितियों से निपटने के लिए मेरठ के एनएएस कॉलेज में सिविल डिफेंस द्वारा मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस दौरान कॉलेज स्टाफ और छात्रों को हमले की स्थिति में बचाव के तरीके बताए गए। सिविल डिफेंस अधिकारी अनिल उपाध्याय ने ब्रीफिंग में बताया कि किस प्रकार सामान्य नागरिक बिना घबराए सुरक्षित स्थानों पर शरण ले सकते हैं, और जीवन रक्षा के लिए क्या-क्या जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने बताया कि सायरन, शरण स्थलों की पहचान, प्राथमिक चिकित्सा, और आपातकालीन संचार व्यवस्था जैसी बातों को गंभीरता से समझना जरूरी है। मॉक ड्रिल का उद्देश्य छात्रों और स्टाफ को आपातकालीन स्थितियों के लिए तैयार करना और वास्तविक हालात में सतर्कता के साथ उचित निर्णय लेने के लिए प्रशिक्षित करना था।

आईआईएमटी यूनिवर्सिटी गंगानगर में जिला प्रशासन द्वारा मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इसमें कॉलेज के छात्रों, एनसीसी कैडेट्स सहित अन्य लोगों को जागरूक किया गया। इस दौरान सीओ सदर देहात शिव प्रताप सिंह ने ब्रीफिंग की। उन्होंने बताया कि अलर्ट सायरन कम से कम 4 मिनट और ज्यादा से ज्यादा 12 मिनट तक हो सकता है। उन्होंने बताया कि हमले के समय कुछ नियमों फॉलो करना है। हमले के समय पैनिक नहीं होना है। सायरन बजने के बाद 3 मिनट का समय सुरक्षित स्थान पर जाने का मिलता है। अगर खुले स्थान पर हैं तो 50 मीटर के दायरे किसी स्थान पर छुप जाए। मोबाइल का ज्यादा प्रयोग न करे। उन्होंने बताया कि हमारे के लोगों को जागरूक करने में मेडिकल टीम, सिविल डिफेंस टीम, एनसीसी कैडेट्स, पुलिस, फायर ब्रिगेड के टीमें लगी हैं। एसीएम ने बताया कि हमे घरों में एक कीट तैयार करके रखनी हैं जिसमें अपनी एक पहचान पत्र जरूर रखें। अधिकारियों ने शाम को होने वाले ब्लॉक आउट के बारे में भी जानकारी दी।

हवाई हमले का पीला संदेश आने पर क्या होगा: सबसे पहले हवाई हमले का जिला प्रशासन और नागरिक सुरक्षा कोर के कंट्रोल रुम में एक पीला संदेश आएगा। जिसके आते ही नागरिक सुरक्षा कोर और जिला प्रशासन के अधिकारी अपनी तैयारी शुरू कर देंगे। अधिकारी जनता को बचाने के लिए खुद की तैयारी करेंगे। संदेश के बाद अग्निशमन विभाग, सीएमओ, सीएफओ, डीएसओ, सीडीओ आदि अधिकारियों को खुद की तैयारी करनी होगी; जैसे ऐसे स्थान चिह्नित करने होंगे। जमीन के नीचे बने होंगे। खाई खोदी जाएगी, ताकि लोगों को वहां रख सकें।

 

 

हवाई हमले का लाल संदेश मिलने पर यह होगा: यदि मेरठ जिला प्रशासन को हमले का लाल संदेश मिलता है तो समझ लें कि मेरठ पर पांच मिनट के अंदर हमला होने वाला है। तब यहां पर खतरे वाला सायरन बजेगा। इस दौरान जिला प्रशासन और नागरिक सुरक्षा कोर, पुलिस आदि को लोगों को अलर्ट करना है।

हवाई हमले का हरा सिग्नल मिलने पर यह होगा: यदि हवाई हमले का हरा सिग्नल जिला प्रशासन को मिलता है तो एक सुर में सायरन बजेगा यानी अब खतरा टल गया है। लोगों को सेल्टर से बाहर निकाला जाएगा। रेस्क्यू अभियान चलाया जाएगा। डाक्टरों की टीम निकली जाएगी।

हवाई हमले का व्हाइट सिग्नल मिलने पर यह समझें: यदि जिला प्रशासन के पास हवाई हमले का व्हाइट सिग्नल आता हैं तो समझ लेना कि युद्ध रूक गया है। जिला प्रशासन जनता को अलग अलग तरीकों से बताएगा कि युद्ध रूक गया है और अब कोई खतरा नहीं है।

शहर में एक साथ बजेंगे छह सायरन

नागरिक सुरक्षा कोर के उप नियंत्रक रविन्द्र प्रताप ने बताया कि यदि शहर में सायरन ऊंची नीची आवाज में बजता है तो समझ जाइए कि पाकिस्तान हवाई हमला कर सकता है। यदि सायरन एक सुर में बजता है तो समझ जाइए खतरा था लेकिन टल गया है। वर्तमान में नागरिक सुरक्षा कोर के पास छह सायरन हैं, जो रेलवे रोड स्थित कोल्ड स्टोर, आईटीआई साकेत, सोहराब गेट बस अड्डा, शारदा रोड पुलिस चौकी, नगर कोतवाली और सोहराब गेट चौकी में लगे हैं। इन सभी सायरन पर नागरिक सुरक्षा कोर के वार्डन तैनात होंगे। खतरा होने पर ही सायरन बजेगा। बेवजह नहीं बजेगा।

क्यों हो रही है यह महत्वपूर्ण मॉक ड्रिल

गृह मंत्रालय देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयासरत है और इसी कड़ी में समय-समय पर इस तरह के आपातकालीन अभ्यासों का आयोजन किया जाता रहता है। यह विशिष्ट मॉक ड्रिल मौजूदा सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए विशेष रूप से डिजाइन की गई है। ताकि हवाई हमले, मिसाइल हमले और ड्रोन अटैक जैसे आधुनिक खतरों से निपटने की मौजूदा रणनीतियों और तैयारियों के स्तर का मूल्यांकन किया जा सके। इस अभ्यास के माध्यम से यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि आम जनता ऐसे हालात में घबराने के बजाय कैसे सतर्क रहें और अधिकारियों द्वारा जारी किए गए निदेर्शों का पालन करें।

शाम को 7 बजे के बाद होगा ब्लैक आउट

दिन में स्कूलों में मॉकड्रिल होगी। शाम को चार बजे सेंट जोसफ इंटर कॉलेज में संयुक्त रूप से कई विभागों की मॉकड्रिल होगी। शाम के सात बजे के बाद कई इलाकों में ब्लैक आउट होगा। सायरन ऊंची नीची आवाज में बजाय जाएगा। ताकि सभी लोग अपनी अपनी लाइट बंद कर सके। इस दौरान बिजली भी चली जाएगी।

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