Home उत्तर प्रदेश Meerut क्षत्रियों की पंचायतों पर लगी सभी दलों की नजर

क्षत्रियों की पंचायतों पर लगी सभी दलों की नजर

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– कल सरधना के खोड़ा और 17 को गाजियाबाद के धौलाना में होगी पंचायत


अनुज मित्तल (समाचार संपादक)

मेरठ। पिछले एक महीने से जगह-जगह की जा रहीं क्षत्रिय समाज की पंचायतों ने पश्चिम उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल को गर्म कर दिया है। पंचायतों के इसी क्रम में 16-17 अप्रैल को क्षत्रीय समाज के बड़े नेता सरधना विधानसभा के खेड़ा गांव और गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र में आने वाले साठा चौरासी क्षेत्र के धौलाना में आयोजित पंचायत में जुटने जा रहे हैं। इन दोनों ही पंचायतों को क्षत्रिय स्वाभिमान सम्मेलन नाम दिया गया है। माना जा रहा है कि इस पंचायत में अहम फैसले लिए जाएंगे। इन फैसलों पर भाजपा समेत सभी दलों की नजर है। ये पंचायतों हुए होने वाले फैसले मुजफ्फरनगर, मेरठ और गाजियाबाद सहित कई सीटों को प्रभावित कर सकते हैं।

मुजफ्फरनगर, मेरठ और सहारनपुर में हो चुकीं पंचायतों में कई मुद्दे सामने आए हैं। लेकिन, सबसे ज्यादा चर्चा इस बार के चुनाव में टिकट दिए जाने में क्षत्रिय समाज की उपेक्षा किया जाना बताया जा रहा है। समाज के नेता सवाल कर रहे हैं कि भाजपा ने मेरठ और सहारनपुर मंडल की आठ सीटों में एक पर भी क्षत्रिय उम्मीदवार क्यों नहीं बनाया?

दूसरा सवाल यह है कि गाजियाबाद में लगातार दो चुनाव पांच लाख से अधिक वोटों से जीते वीके सिंह को इस बार टिकट क्यों नहीं दिया गया। हालांकि, वीके सिंह ने उम्मीदवार का फैसला होने से पहले खुद ही चुनाव मैदान से दूर रहने की घोषणा कर दी थी। लेकिन चर्चा है कि उन्हें दूर रहने का निर्देश दे दिया गया था।

किसान मजूदर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूरन सिंह का कहना है कि इस चुनाव में समाज की उपेक्षा हुई है। इसीलिए, पंचायतें की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि क्षत्रीय 70 लोकसभा सीटों पर निर्णयक स्थिति में है, जो किसी का भी गणित बना और बिगाड़ सकते हैं।

भाजपा के क्षत्रिय नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष सतेंद्र सिसौदिया से लेकर सीएम योगी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से अलग हटकर भी कई नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इसमें धौलाना विधायक धर्मेश तोमर का नाम जहां प्रमुख है, तो भाजपा के दृष्टिकोण से यदि देखें तो पूर्व विधायक संगीत सोम और पूर्व मंत्री सुरेश राणा की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। हालांकि इन दोनों नेताओं को लेकर कहा जा रहा है कि अपनी उपेक्षा और भविष्य की राजनीति को देखते हुए ये दोनों खामोशी साधे हुए हैं। क्योंकि संगीत सोम मेरठ या मुजफ्फरनगर तो सुरेश राणा सहारनपुर से टिकट मांग रहे थे।

योगी और राजनाथ को उतारा है साधने में

क्षत्रिय समाज भाजपा के लिए कितना अहम है, यह उसके नेता भी जानते हैं। यही कारण है कि अब जहां भी नाराजगी के स्वर उभर रहे हैं, वहीं पर भाजपा नेतृत्व केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उन्हें साधने और समझाने के लिए भेज रहा है। राजनाथ सिंह जहां गाजियाबाद और सहारनपुर में जनसभा और बैठक कर चुके हैं। तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सहारनपुर, सरधना और बिजनौर के ठाकुर बहुल इलाकों के साथ गाजियबाद में अलग से क्षत्रि समाज को समझाने के लिए जनसभाएं कर चुके हैं।

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