बसपा ने बूथ स्तर पर कमेटी गठित करने की शुरू की तैयारी।
वोट के बंटवारे को लेकर गठबंधन से कर रहे किनारा।
अनुज मित्तल, समाचार संपादक |
मेरठ। बहुजन समाज पार्टी के किसी भी गठबंधन में जाने की चर्चा अभी अटकलें ही साबित हो रही हैं। क्योंकि बसपा ने संगठन स्तर पर तैयारी तेज कर दी है। बसपा सूत्रों का कहना है कि गठबंधन में रहकर वोटों के बंटवारे से बसपा को लाभ कम नुकसान ज्यादा हुआ है। जिस कारण बसपा अब गठबंधन से दूर रहकर अपने वोट बैंक के सहारे ही दूसरों को चोट देने की राह पर काम कर रही है।
लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी के तहत बसपा लगातार संगठन को कस रही है। निष्क्रिय और अनुशासनहीन पदाधिकारियों को हटाकर पुराने और निष्ठावार कार्यकर्ताओं को संगठन में जगह दी जा रही है। इसके साथ ही बसपा ने अपने पुरानी रणनीति के तहत बूथ स्तर पर भी काम करते हुए प्रत्येक विधानसभा में 10 बूथों पर एक सेक्टर का गठन कर कमेटी तैयार करनी शुरू कर दी है।
बात कम और काम ज्यादा
बसपा सुप्रीमों मायावती ने इस बार चुनाव में पदाधिकारियों को चुनावी रणनीति का मंत्र देते हुए कहा है कि चुनावी तैयारी के तहत बात कम और काम ज्यादा करने पर फोकस करें। दिसंबर माह तक जहां सभी सेक्टर कमेटियां गठित हो जाएंगी, वहीं इसके बाद विधानसभा स्तर पर सम्मेलन आयोजन को लेकर तैयारी शुरू होगी।
वोट का बंटवारा नहीं होने देंगे
बसपा के वरिष्ठ नेता का कहना है कि गठबंधन के साथ रहते हुए बसपा का वोट बैंक तो दूसरी पार्टी के प्रत्याशी पर ट्रांसफर हो जाता है। लेकिन दूसरी पार्टी का वोट बैंक बसपा के पाले में मुश्किल से ही ट्रांसफर होता है। जिसके चलते अब गठबंधन से दूर रहने की ही तैयारी बसपा की है। ताकि खुद के दम पर अपने मूल वोट बैंक और अन्य वोटों के सहारे दो गठबंधन के बीच चुनावी जीत की राह तैयार की जा सके।
प्रत्याशी चयन में देखा जाएगा सीट का जातीय गणित
बसपा सूत्रों की मानें तो इस पर प्रत्याशी चयन बहुत ही सधी हुई रणनीति के तहत होगा। जिसमें प्रत्याशी का चयन उस लोकसभा क्षेत्र की जातीय गणित को देखते हुए किया जाएगा। ताकि बसपा अपने मूल वोट बैंक के सहारे प्रत्याशी के जातीय गणित को साधते हुए चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सके।
कांग्रेस कर रही साधने का प्रयास
आईएनडीआईए गठबंधन में हालांकि राजस्थान और मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सपा और कांग्रेस के बीच तल्खी आई है। बावजूद इसके कांग्रेस अपनी तरफ से अभी भी बसपा को गठबंधन में लाने के लिए प्रयास कर रही है। क्योंकि कांग्रेस जानती है कि बसपा ही यूपी में ऐसी पार्टी है, जो खेल बना और बिगाड़ सकती है। सपा की तरफ से भी प्रो. रामगोपाल यादव अपने स्तर से बसपा को गठबंधन के साथ आने का प्रयास कर रहे हैं।
अभी अलग रहने पर अडिग हैं बहन जी
बसपा पर आईएनडीआईए के साथ भाजपा की भी नजर है। हालांकि भाजपा बसपा से गठबंधन के पक्ष में नहीं है, बल्कि भाजपा चाहती है कि बसपा स्वतंत्र होकर चुनाव लड़े। वहीं आईएनडीआईए की पार्टियां बसपा को जोड़ना चाहती हैं। लेकिन बसपा सुप्रीमों मायावती फिलहाल अलग रहने पर ही अडिग नजर आ रही हैं।