मेरठ। वैसे तो 15 अगस्त की रात 11:49 पर अष्टमी तिथि का प्रारंभ हो जाएगा, लेकिन अष्टमी प्रारंभ होने से पहले ही चंद्र उदय 10:27 पर हो जाएगा। अगले दिन उदय तिथि में 16 अगस्त दिन शनिवार को जन्माष्टमी का व्रत करके जन्माष्टमी पर मनाना शुभ रहेगा।
शास्त्रीय मान्यता के अनुसार भी अगर चंद्र उदय अष्टमी तिथि से पूर्व हो रहा हो तो उदय तिथि में ही पर्व मानना उचित रहता है। इस बार भगवान कृष्ण का यह जन्म उत्सव 5252 है। इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में स्थित रहेंगे जो भगवान कृष्ण की जन्म राशि है। ग्रहों की स्थिति भी इस दिन शुभ रहेगी सूर्य देव बुध ग्रह के साथ बुध आदित्य योग का निर्माण भी करेंगे।
जन्माष्टमी पर्व को लेकर इस बार थोड़ा संशय की स्थिति है लेकिन 16 अगस्त दिन शनिवार को जन्माष्टमी का पर्व व्रत करना ही उचित रहेगा। 16 अगस्त दिन शनिवार को प्रात: 6:18 तक भरणी नक्षत्र वह उसके पश्चात कृतिका नक्षत्र के शुभ संयोग में व उदयकालीन अष्टमी में सूर्यास्त के समय प्रदोष काल में भी अष्टमी का विद्यमान रहने से यह पर्व 16 अगस्त को मनना ही उचित रहेगा।
वैसे भी शास्त्रीय मान्यता के अनुसार जब अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का मिलान नहीं हो रहा हो तो उदया तिथि को मान्यता देकर ही श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाना चाहिए।